भारत ने ChatGPT और DeepSeek के उपयोग पर लगाया प्रतिबंध
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नई दिल्ली: भारतीय वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को ChatGPT और DeepSeek जैसे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल्स के उपयोग से बचने का निर्देश दिया है। यह आदेश संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा और साइबर खतरों को रोकने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
संयुक्त सचिव प्रदीप कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी कंप्यूटरों पर AI-सक्षम एप्लिकेशन का उपयोग गोपनीय सरकारी जानकारी को खतरे में डाल सकता है। यह प्रतिबंध वित्त सचिव की मंजूरी के बाद लागू किया गया और इसे राजस्व, आर्थिक मामलों, व्यय, सार्वजनिक उपक्रम, DIPAM (विनिवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग) और वित्तीय सेवाओं सहित मंत्रालय के सभी प्रमुख विभागों को भेजा गया है।
वैश्विक स्तर पर एआई को लेकर बढ़ती चिंताएं
भारत का यह निर्णय वैश्विक स्तर पर एआई टूल्स को लेकर बढ़ती चिंताओं के अनुरूप है। कई एआई मॉडल, जिनमें ChatGPT भी शामिल है, उपयोगकर्ता इनपुट को बाहरी सर्वरों पर प्रोसेस करते हैं, जिससे डेटा लीक या अनधिकृत पहुंच की आशंका बनी रहती है। इससे पहले, कई निजी कंपनियों और वैश्विक संगठनों ने भी संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के लिए एआई टूल्स के उपयोग को सीमित कर दिया है। दूसरी ओर इटली और ऑस्ट्रेलिया ने DeepSeek को बैन कर दिया है, जबकि यूरोप और अमेरिका भी एआई सुरक्षा नियमों को कड़ा करने पर विचार कर रहे हैं।
सरकार ने यह प्रतिबंध क्यों लगाया?
- डेटा लीक का खतरा – ChatGPT और DeepSeek जैसे एआई मॉडल उपयोगकर्ता द्वारा दर्ज किए गए डेटा को बाहरी सर्वरों पर प्रोसेस करते हैं। यदि सरकारी कर्मचारी संवेदनशील जानकारी इन टूल्स में दर्ज करते हैं, तो वह डेटा संग्रहीत, एक्सेस या दुरुपयोग हो सकता है। सरकारी विभागों में वित्तीय डेटा, नीतिगत मसौदे और आंतरिक संचार जैसे महत्वपूर्ण डेटा होते हैं, जो लीक होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक नीति के लिए खतरा बन सकते हैं।
- एआई मॉडल पर सरकारी नियंत्रण की कमी – पारंपरिक सरकारी सॉफ्टवेयर के विपरीत, एआई टूल्स क्लाउड-आधारित होते हैं और निजी कंपनियों के स्वामित्व में होते हैं। उदाहरण के लिए, ChatGPT का स्वामित्व OpenAI के पास है, और सरकार के पास यह नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है कि ये टूल्स जानकारी को कैसे संग्रहीत या प्रोसेस करते हैं। इससे विदेशी हस्तक्षेप और साइबर हमलों की संभावना बनी रहती है।
- डेटा संरक्षण नीतियों का अनुपालन – भारत डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 जैसे कड़े डेटा सुरक्षा कानूनों पर काम कर रहा है। यदि सरकारी कर्मचारियों को बिना स्पष्ट नियमों के एआई टूल्स का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे डेटा सुरक्षा नीतियों का उल्लंघन हो सकता है और सरकारी सिस्टम साइबर हमलों के प्रति असुरक्षित बन सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
- स्वदेशी एआई मॉडल: सरकार अपने नियंत्रण में सुरक्षित एआई टूल विकसित करने के लिए काम कर सकती है।
- एआई गाइडलाइंस: एआई टूल्स के सुरक्षित उपयोग के लिए स्पष्ट नियम बनाए जा सकते हैं।
- साइबर सुरक्षा उपाय: सरकारी सिस्टम में एआई आधारित साइबर सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकता है।