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जातिगत जनगणना की निगरानी जरूरी, हर व्यक्ति की सही तरीके से हो गणना: न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह यादव

इटावा पहुंचे पूर्व न्यायधीश ने की पिछड़ों दलितों को अलर्ट रहने की अपील, सही तरीके से हुई जातिगत गणना तभी मिलेगा सामाजिक न्याय

लखनऊ। सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्यास के संस्थापक एवं सोशल रिवोल्यूशन एलायंस के चेयरमैन व इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) के पूर्व न्यायधीश वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना होने से सामाजिक न्याय हो सकेगा। इसके लिए लंबे समय से मांग चल रही थी।

सामाजिक संगठनों, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा लगातार इस मुद्दे को दमदारी से उठाया गया। हर तरफ से उठ रही आवाज की वजह से केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया है। लेकिन अब सामाजिक संगठनों की जिम्मेदारी है कि गणना की निगरानी करें। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी न होने पाए।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश वीरेंद्र सिंह यादव (Virendra Singh Yadav) ने कहा कि वह जातिगत जनगणना को लेकर निरंतर आवाज उठाते रहे हैं। इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक संगठनों को इकठ्ठा किया। धीरे धीरे यह आवाज पूरे देश में बुलंद हुई। अब लोगों को निगरानी के लिए जागरूक कर रहे हैं।। उन्होंने बताया कि अक्सर न्यायालयों में आरक्षण से संबंधित मामले आने पर अथवा ओबीसी की भागीदारी से संबंधित मामलों में डाटा न होने की वजह से विवाद को सुलझाने में दिक्कत होती रही है।

न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि 1931 की जातिगत जनगणना का डेटा पुराना है। नई जातिगत जनगणना हुई नहीं। 2011 में जातिगत सर्वे कराया गया लेकिन उसका आंकड़ा भी जारी नहीं किया गया।। इस स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग, एससी, एसटी के संविधान सम्मत अधिकार पर देश के सभी स्रोतों में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित नहीं किया जा रहा था। समता समानता पर आधारित संविधान की मूल भावना से अब तक खिलवाड़ होता रहा है। इसलिए जातिगत जनगणना आवश्यक थी।

हम उम्मीद करते है कि जातिगत जनगणना को वास्तविक रूप से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक क्षेत्र तथा मीडिया और कॉर्पोरेट में पिछड़ों व अन्य वर्ग की भागीदारी प्रदर्शित करने के लिए अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 1901 के जनगणना आयुक्त एच एच रिसले ने कहा था कि जातिगत जनगणना भारतीय समाज के अनेक इकाइयों को एक साथ बांधने वाला सीमेंट है। इसलिए अंग्रेजों ने इसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक उपकरण के रूप में देखा था

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