निजीकरण नहीं, बंद इकाइयां चालू करने से मिलेगी 24 घंटे बिजली

Lucknow: ऊर्जा मंत्री एके शर्मा विधान सभा (Assembly) में बार-बार यह दावा करते हैं कि प्रदेश में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने के लिए निजीकरण (Privatization) जरूरी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि यह सच नहीं है। बिना निजीकरण के भी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है। इसके लिए बस बंद पड़ी विद्युत इकाइयों को चालू करना होगा। सरकार को निजीकरण के बजाय इस पर ध्यान देना चाहिए।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा देश भर में लागू कंज्यूमर राइट रूल 2020 की धारा-10 के अनुसार उपभोक्ताओं (ग्रामीण व शहरी) को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना अनिवार्य है। लेकिन उत्तर प्रदेश में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली कम्पनियों की जिम्मेदारी है कि उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराए। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
बंद की गई हैं 4 उत्पादन इकाइयां
अवधेश वर्मा ने यह दावा किया 5 सितंबर 2025 तक पावर कॉरपोरेशन ने ‘Low-demand’ का हवाला देकर 1486 मेगावाट की चार उत्पादन इकाइयों को बंद कर रखा है। इनमें हरदुआगंज एक्सटेंशन-द्वितीय यूनिट-1 (660 मेगावाट), हरदुआगंज यूनिट-8 (250 मेगावाट), हरदुआगंज यूनिट-9 (250 मेगावाट), टांडा यूनिट-1 (110 मेगावाट), टांडा यूनिट-2 (110 मेगावाट) और हरदुआगंज यूनिट-7 (105 मेगावाट) शामिल हैं। वर्मा का कहना है कि अगर इन इकाइयों को चालू कर दिया जाए तो उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति के घंटे आसानी से बढ़ाए जा सकते हैं। मगर कारपोरेशन ऐसा नहीं कर रहा है।
18-21 घंटे मिल रही बिजली
अवधेश वर्मा ने कारपोरेशन (UPPCL) प्रबंधन के समक्ष एक सवाल रख कि जब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अभी भी 18 से 21 घंटे बिजली ही दी जा रही है, तब लो-डिमांड का तर्क कैसे दिया जा सकता है। वर्मा ने कहा कि अगर सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिले उसके बाद भी ग्रिड पर बिजली बचती है, तभी इकाइयों को बंद किया जाना उचित माना जा सकता है। अन्यथा यह कंस्यूमर राइट रूल 2020 का खुला उल्लंघन है।
पहले दे चुके हैं 24 घंटे सप्लाई
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि कारपोरेशन को यह याद करना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दौरान उपभोक्ताओं को आराम से 24 घंटे बिजली दी गई थी। ऐसा किया जाना आज भी संभव है। कारपोरेशन को करना सिर्फ इतना है कि बंद पड़ी उत्पादन इकाइयों को चालू कर दे। निजीकरण किया जाना इसका विकल्प नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से उपभोक्ताओं को न तो सस्ती बिजली मिलेगी और न ही निर्बाध आपूर्ति, बल्कि इसका सीधा फायदा उद्योगपतियों को होगा।