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18 वर्ष की उम्र से पहले जन्मजात विकृतियों का इलाज जरूरी: डॉ. जेडी रावत

Lucknow: बच्चों में होने वाली जन्मजात विकृतियों (Congenital Malformations) का इलाज 18 वर्ष की उम्र से पहले किया जाना बेहद जरूरी है। उपचार में देरी से सर्जरी और इलाज दोनों ही अधिक कठिन हो जाते हैं। ऐसे में कई बार स्थिति बच्चों के लिए जानलेवा भी हो जाती है।

यह जानकारी पीडियाट्रिक सर्जरी डे के अवसर पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के पीडियाट्रिक सर्जरी (Pediatric Surgery) विभाग के प्रमुख डा. जेडी रावत (Dr. JD Rawat) ने दी। डा. रावत ने बताया कि बच्चों में आमतौर पर मलद्वार का विकसित न होना, खाने और सांस की नली का आपस में जुड़ा होना (Esophageal Atresia), हर्निया, पेशाब से संबंधित बीमारियां, पेट में ट्यूमर और पथरी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इन सभी बीमारियों का समय रहते इलाज किया जाना बेहद जरूरी है।

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आधुनिक तकनीक से बेहतर इलाज

डा. रावत ने बताया कि अब बच्चों की जन्मजात बीमारियों का इलाज आधुनिक तकनीकों और उन्नत उपकरणों से किया जा रहा है। दूरबीन विधि (Laparoscopic Surgery) सिस्टोस्कोपी और एंडोस्कोपिक तकनीक के जरिए ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इन तकनीकों से सर्जरी कम जटिल होती है और बच्चों की रिकवरी पहले की तुलना में काफी तेज हो गई है।

प्रदेश में पीडियाट्रिक सर्जनों की काफी कमी

डॉ. रावत ने चिंता जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में पीडियाट्रिक सर्जनों (Pediatric Surgeons) की काफी कमी है। पूरे प्रदेश में केवल करीब 50 पीडियाट्रिक सर्जन ही उपलब्ध हैं। छोटे जिलों और पिछड़े क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव के कारण मरीजों को बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है, जिससे इलाज में अनावश्यक देरी हो जाती है और बीमारी गंभीर रूप ले लेती है।

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जागरूकता कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं

कार्यक्रम के दौरान पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में बच्चों और नर्सिंग छात्र-छात्राओं के लिए पेंटिंग और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। साथ ही अभिभावकों को बच्चों में होने वाली विभिन्न जन्मजात विकृतियों के लक्षण, इलाज और सावधानियों के बारे में जागरूक किया गया।ओपीडी में करीब 200 मरीजों की जांच की गई और उनके परिजनों को बीमारी व इलाज से जुड़ी जानकारी दी गई। इस अवसर पर बच्चों को खिलौने और उपहार भी वितरित किए गए, जिससे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिली। कार्यक्रम पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मरीज, उनके अभिभावक और तीमारदार शामिल हुए।

 

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