Health

केजीएमयू में संक्रमण की होगी सटीक पहचान, इलाज होगा आसान

मनाया गया माइक्रोबायोलॉजी विभाग का 39वां स्थापना दिवस

Lucknow: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में गंभीर संक्रमण ( Infection) से जूझ रहे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। समय रहते संक्रमण की सटीक पहचान व इलाज होने से उनकी जान बच सकेगी। इसके लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में करीब सवा करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक बायोफायर मशीन (Biofire machine) लगायी गयी है।

यह जानकारी माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Microbiology) की अध्यक्ष डॉ. विमला वेंकटेश ने मंगलवार को सेल्बी हॉल, प्रशासनिक भवन में आयोजित विभाग के 39वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान दी। डॉ. विमला वेंकटेश ने बताया कि आईसीयू और वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। ऐसे मामलों में यह पता लगाना बेहद जरूरी होता है कि संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट से हुआ है। बायोफायर मशीन के जरिए कम समय में सटीक पहचान संभव होगी, जिससे इलाज की दिशा तय करने में चिकित्सकों को बड़ी सहायता मिलेगी।

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विभाग की ओर से आधुनिक एयर सैम्पलर मशीन भी क्रय की गई है। इस बारे में डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि ऑपरेशन थिएटर और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस की समय-समय पर जांच की जाती है। नई मशीन के माध्यम से मात्र 15-20 मिनट में हवा से सैम्पल एकत्र कर सटीक जांच संभव होगी।

एक साल में साढ़े पांच लाख जांचें

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बीते एक वर्ष में करीब साढ़े पांच लाख जांचें की हैं। विभाग लगातार आधुनिक जांच तकनीकों को अपना रहा है, जिससे मरीजों को निजी पैथोलॉजी में महंगी जांच कराने से राहत मिली है। उन्होंने कहा कि यह विभाग शिक्षण, जांच और शोध के साथ-साथ संक्रामक रोग नियंत्रण और एंटीमाइक्रोबायोल रेजिस्टेंस जैसी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभा रहा है।

सोच-समझकर करें एंटीबायोटिक का इस्तेमाल

इस मौके पर मौजूद आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने चेतावनी दी कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, इसलिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग सोच-समझकर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में एंटीमाइक्रोबियल स्टूवर्डशिप को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

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चार डॉक्टरों को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

माइक्रोबायोलॉजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में उत्कृष्ट योगदान देने वाले चार चिकित्सकों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

डॉ. एस. के. अग्रवाल, पूर्व विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी एवं पूर्व कुलपति, केजीएमयू

डॉ. मस्तान सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी एवं पूर्व डीन एकेडमिक्स, केजीएमयू

डॉ. अमिता जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी, पूर्व डीन एकेडमिक्स केजीएमयू एवं वर्तमान में कार्यकारी निदेशक, एम्स रायबरेली

डॉ. संजय सिंघल, केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रथम एमडी बैच के पूर्व छात्र

फैकेल्टी, रेजड़िेंट्स व कर्मचारियों को भी मिला सम्मान

इस अवसर पर विभाग के कई फैकेल्टी सदस्यों, रेजड़िेंट्स, छात्रों और कर्मचारियों को उत्कृष्टता, नवाचार, समर्पित सेवा और मानवीय मूल्यों के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रो-वाइस चांसलर डॉ. अपजित कौर, डीन एकेडमिक्स डॉ. वीरेंद्र आतम, डीन पैरामेडिकल डॉ. के. के. सिंह, डॉ. आर. के. कल्याण, डॉ. पारुल जैन व डॉ. सुरुचि शुक्ला सहित अनेक वरिष्ठ संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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