Health

1.60 करोड़ के घोटाले में ACMO निलंबित

मेडिकल भर्ती में रिश्वतखोरी पर मथुरा व एटा के डॉक्टर सस्पेंड

Lucknow: डेढ़ करोड़ से अधिक रुपयों के घोटाले (Scam) के आरोप में कानपुर के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुबोध प्रकाश यादव को निलंबित (suspend) कर दिया गया है। जांच में सामने आया कि डॉ. यादव ने नवंबर 2024 में जेएम फार्मा नामक फर्म से सांठगांठ कर अधोमानक दवाइयाँ और सामग्री खरीदी। इसके लिए जेम पोर्टल व दस्तावेजों में हेरफेर कर 1.60 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया।

डॉ. सुबोध प्रकाश यादव की तैनाती वर्ष 2003 में अलीगढ़ से कानपुर नगर में परामर्शदाता पद पर की गई थी। वर्ष 2019 में लेवल-4 में पदोन्नति हुई। इसके बावजूद अफसरों ने डॉ. सुबोध का स्थानान्तरण नहीं किया। उन्हें कानपुर नगर में ही अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर तैनाती दी गई। डॉ. सुबोध ने अपने पद का दुरूपयोग कर नवम्बर 2024 में चीफ फार्मासिस्ट अवनीश कुमार शुक्ला, डॉ. वन्दन सिंह, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ मिलकर कानपुर नगर स्थित आचार्य नगर के प्रोपाइटर मेसर्स जेएम फार्मा से मिलीभगत कर जेम पोर्टल व अभिलेखों में हेराफेरी कर अधोमानक सामग्री प्राप्त कर नियम विरूद्ध तरीके से 1.60 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया।

मामला संज्ञान में आने पर मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) ने जांच कराई। दोषी पाये जाने पर डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक  ने निलम्बित करने के आदेश प्रमुख सचिव को दिए।  आरोपी चीफ फार्मासिस्ट एवं वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के विरूद्ध भी जल्द ही कार्यवाही की जायेगी।

मेडिकल परीक्षण में पास करने के लिए घूसखोरी

मथुरा में उप्र पुलिस आरक्षी भर्ती प्रकिया में गठित मेडिकल पैनल के सदस्यों पर घूस मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप हैं कि टीम के डॉक्टर सदस्यों ने मेडिकल परीक्षण पास कराने के नाम पर अभ्यर्थियों से धन वसूली की। जिसमें जिला चिकित्सालय में तैनात आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. हरि नारायण प्रभाकर, एटा के जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ. राहुल वाष्णेय को निलम्बित कर दिया गया है। प्रमुख सचिव ने विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी है।

वहीं बदायूँ जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य चिकित्साधिकारी, बाँदा के पद पर रहते हुए आशा चयन प्रकिया में अनियमितता बरती। वित्तीय भ्रष्टाचार की गम्भीर शिकायतों का मामला विधान सभा के पटल पर उठाया गया था। डिप्टी सीएम ने मामले की प्रारम्भिक जाँच स्वास्थ्य विभाग के मण्डलीय अपर निदेशक चित्रकूट मण्डल द्वारा करायी। जिसमें डॉ. श्रीवास्तव को दोषी पाया गया। आरोप पत्र देकर डॉ. श्रीवास्तव के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश प्रमुख सचिव को दिए गए हैं।

डिप्टी सीएम को जनता दर्शन में वीरागना अवन्ती महिला चिकित्सालय (डफरिन) की कई शिकायतें मिली थीं। डिप्टी सीएम ने लखनऊ में मण्डलीय अपर निदेशक, चिकित्सा से अस्पताल का अचानक निरीक्षण कर जाँच करायी। शुरुआती जाँच में कई गम्भीर अनियमितताओं एवं उच्चादेशों की अवहेलना के आरोप सही मिले। नतीजतन प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू पंत को आरोप पत्र देकर विभागीय कार्यवाही किये जाने के निर्देश प्रमुख सचिव को दिये गये हैं।

उधर, हमीरपुर जिला चिकित्सालय में तैनात नेत्र सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह पर रोगियों के उपचार में लापरवाही के आरोप लगे हैं। अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों के प्रति उदासीनता बरतने के सम्बन्ध की शिकायतों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। लेकिन डॉ. सिंह द्वारा स्पष्टीकरण नहीं दिया। लिहाजा डॉ. सिंह के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए गए हैं। सीतापुर में फर्श पर प्रसूता व नवजात शिशु के लेटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया में वॉयरल हुआ है। डिप्टी सीएम ने जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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