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EPS-95 पेंशन योजना: 81 लाख पेंशनभोगियों के लिए ₹1500 से कम पेंशन

NEW DELHI: कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) को लेकर हाल ही में संसद में पेश किए गए आंकड़ों ने इस योजना की गंभीर खामियों को उजागर किया है। यह योजना, जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1995 में शुरू की गई थी, अब लाखों पेंशनभोगियों के लिए एक मजाक बनकर रह गई है।

आंकड़ों के अनुसार, देश के 81.48 लाख EPS-95 पेंशनभोगियों में से केवल 53,541 (0.65%) को ही 6,000 रुपये प्रति माह से अधिक पेंशन मिल रही है, जबकि लगभग 60% पेंशनभोगियों को 1,500 रुपये से भी कम मासिक पेंशन प्राप्त हो रही है। आज के दौर में, जब महंगाई आसमान छू रही है, यह राशि न केवल अपर्याप्त है, बल्कि रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए एक गंभीर आर्थिक संकट का कारण बन रही है।

पेंशन की दयनीय स्थिति

श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में EPS-95 के तहत पेंशन वितरण के आंकड़े प्रस्तुत किए। इन आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2025 तक EPS-95 के तहत 81.48 लाख पेंशनभोगी हैं।

पेंशन राशि का वितरण

  1.  करीब 49.15 लाख (60%) पेंशनभोगियों को 1,500 रुपये से कम मासिक पेंशन मिल रही है।
  2. जबकि 78.69 लाख को 4,000 रुपये से कम और 80.94 लाख को 6,000 रुपये से कम पेंशन मिल रही है।
    केवल 53,541 पेंशनभोगियों को 6,000 रुपये से अधिक पेंशन प्राप्त हो रही है।

निष्क्रिय खाते

EPS-95 के तहत निष्क्रिय खातों में 10,898.07 करोड़ रुपये जमा हैं, जो पेंशनभोगियों तक नहीं पहुंच रहे।[

इन आंकड़ों से साफ है कि अधिकांश पेंशनभोगी ऐसी राशि पर निर्भर हैं, जो आज के समय में बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी असमर्थ है। उदाहरण के लिए, 1,500 रुपये की मासिक पेंशन से एक व्यक्ति केवल 1 लीटर दूध प्रतिदिन (लगभग 50 रुपये प्रति लीटर) खरीद सकता है, जो एक महीने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। बढ़ती महंगाई, चिकित्सा खर्च, और अन्य जीवनयापन लागत को देखते हुए यह राशि हास्यास्पद लगती है।

EPS-95 योजना: संरचना और कमियां

EPS-95 कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जो 19 नवंबर 1995 को शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु के बाद पेंशन प्रदान करना है। योजना की मुख्य विशेषताएं और कमियां इस प्रकार हैं:

योगदान की संरचना और न्‍यूनतम पेंशन

कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (DA) का 12% कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जमा करते हैं। इसके अलावा नियोक्ता भी 12% योगदान देता है, जिसमें से 8.33% (अधिकतम 15,000 रुपये के वेतन पर) EPS-95 फंड में जाता है, और शेष 3.67% EPF में। केंद्र सरकार 1.16% (15,000 रुपये की सीमा तक) का अतिरिक्त योगदान देती है।

1 सितंबर 2014 से सरकार ने EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह निर्धारित की थी, जो तब से अपरिवर्तित है। इसी के तहत कुछ पेंशनभोगियों को 1,000-2,000 रुपये के बीच पेंशन मिलती है, जो आज की महंगाई में नगण्य है।

पेंशन गणना का आधा

पेंशन की राशि कर्मचारी के औसत वेतन (पिछले 5 वर्ष) और सेवा अवधि पर निर्भर करती है। कम वेतन सीमा (15,000 रुपये) के कारण अधिकांश कर्मचारियों की पेंशन बहुत कम रहती है।

निष्क्रिय खातों की समस्या

निष्क्रिय खातों में जमा 10,898.07 करोड़ रुपये की राशि पेंशनभोगियों तक नहीं पहुंच रही, जो EPFO की प्रबंधन संबंधी कमियों को दर्शाता है। इनमें से बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्‍हें पता ही नहीं कि उनका पैसा जमा है। कुछ ऐसे हैं जो जीवित नहीं हैं।

पेंशनभोगियों की मांग और आंदोलन

EPS-95 पेंशनभोगियों और ट्रेड यूनियनों ने लंबे समय से न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रति माह करने और महंगाई भत्ते (DA) को शामिल करने की मांग की है। EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति (NAC) ने इस मुद्दे पर देशव्यापी प्रदर्शन और भूख हड़ताल की घोषणा की है। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा, “78 लाख पेंशनभोगी, जिन्होंने 30-35 वर्ष तक सेवा दी, आज 1,175 रुपये जैसी तुच्छ राशि पर जीने को मजबूर हैं। हमारी मांग है कि न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये हो, जिसमें DA और पेंशनभोगियों के जीवनसाथी के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हों।”

पेंशनभोगियों का कहना है कि वर्तमान पेंशन राशि न केवल उनकी मेहनत का अपमान है, बल्कि यह उनकी वित्तीय स्वतंत्रता और गरिमा को भी ठेस पहुंचाती है। कई पेंशनभोगी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए परिवार पर निर्भर हैं।

सरकार ने 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन को बनाए रखने के लिए बजटीय समर्थन प्रदान किया है, जो EPS-95 के तहत अनिवार्य नहीं था। इसके अलावा, सरकार 1.16% योगदान देती है।
न्यूनतम पेंशन वृद्धि की चर्चा

संसद की स्थायी समिति (अध्यक्ष: बसवराज बोम्मई) ने श्रम मंत्रालय को न्यूनतम पेंशन बढ़ाने और योजना का तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन 2025 के अंत तक पूरा करने का निर्देश दिया है।
– **उच्च पेंशन का विकल्प**: सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले के बाद, EPFO ने कर्मचारियों को उच्च वेतन पर आधारित पेंशन के लिए आवेदन करने की अनुमति दी। 1.7 मिलियन से अधिक कर्मचारियों ने इसके लिए आवेदन किया है, जिसकी अंतिम तिथि 26 जून 2023 थी।

केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली (CPPS)**: जनवरी 2025 से लागू CPPS के तहत पेंशनभोगी किसी भी बैंक या शाखा से अपनी पेंशन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे प्रक्रिया में सुधार हुआ है।

हालांकि, सरकार ने अभी तक न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये तक बढ़ाने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। श्रम मंत्री शोभा करंदलाजे ने संसद में कहा कि फंड में एक्ट्यूरियल घाटे के कारण पेंशन वृद्धि में चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार इस पर विचार कर रही है EPS-95 को प्रभावी बनाने और पेंशनभोगियों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

1. न्यूनतम पेंशन में वृद्धि: न्यूनतम पेंशन को 7,500-8,500 रुपये तक बढ़ाया जाए, जिसमें महंगाई भत्ते को शामिल किया जाए।

2. वेतन सीमा में बदलाव: पेंशन गणना के लिए वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर वास्तविक वेतन के आधार पर योगदान की अनुमति दी जाए।
3. निष्क्रिय खातों का उपयोग: निष्क्रिय खातों में जमा 10,898.07 करोड़ रुपये को पेंशनभोगियों के लिए उपयोग में लाया जाए।
4. प्रशासनिक सुधार: CPPS जैसे कदमों को और मजबूत किया जाए ताकि पेंशन वितरण में पारदर्शिता और दक्षता बढ़े।
5. यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) जैसा मॉडल**: हाल ही में शुरू की गई UPS, जो केंद्रीय कर्मचारियों को 10,000 रुपये की गारंटीशुदा पेंशन प्रदान करती है, को EPS-95 के लिए एक मॉडल के रूप में अपनाया जा सकता है।

पेंशन या मजाक?

EPS-95 योजना, जो लाखों कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा का वादा करती थी, आज अपनी कमियों के कारण आलोचना का केंद्र बन गई है। 1,500 रुपये की मासिक पेंशन न केवल अपर्याप्त है, बल्कि यह उन कर्मचारियों की मेहनत और योगदान का अपमान है, जिन्होंने दशकों तक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। संसद में पेश आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह योजना अधिकांश पेंशनभोगियों के लिए एक मजाक बनकर रह गई है।

पेंशनभोगियों और ट्रेड यूनियनों का आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले, और सरकार की ओर से प्रस्तावित सुधार इस दिशा में कुछ उम्मीद जगाते हैं। लेकिन, जब तक न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि और महंगाई भत्ते को शामिल नहीं किया जाता, तब तक EPS-95 अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने में असमर्थ रहेगी। सरकार को तत्काल कदम उठाकर इस योजना को पेंशनभोगियों के लिए वास्तविक सामाजिक सुरक्षा का साधन बनाना चाहिए, ताकि रिटायर्ड कर्मचारी सम्मान और स्वतंत्रता के साथ अपना जीवन जी सकें।

यदि आप EPS-95 पेंशनभोगी हैं, तो अपनी पेंशन स्थिति की जांच EPFO की वेबसाइट (www.epfindia.gov.in) पर UAN और पासवर्ड के माध्यम से करें।

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