UP

यूपी में हर साल होती है 4,500 करोड़ की बिजली चोरी

बिजली चोरी रोकने से कम होगा घाटा: उपभोक्ता परिषद

Lucknow: उत्तर प्रदेश में सालाना करीब 4,500 करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो जाती है। विभाग इस चोरी पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। अगर इस चोरी को ही रोक लिया जाए तो विभाग (UPPCL) घाटे से उबर सकता है। यह बात कही है राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने। उनका कहना है कि चोरी पर अंकुश लगाने से महंगी बिजली खरीद कम की जा सकती है। बिजली कंपनियों की वित्तीय हालत में सुधार होगा और उनके निजीकरण की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग को दिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) में बिजली कंपनियों ने दावा किया है कि वर्ष 2025-26 में 1,64,593 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद होगी। इस पर करीब 86,992 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को रोस्टर के अनुसार बिजली मिल सके लिए इसके लिए निजी घरानों से 35,121 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी जानी है। राज्य विद्युत उत्पादन निगम से केवल 20,670 करोड़ रुपये की ही बिजली प्रदेश को मिलेगी। कारपोरेशन के अनुसार मौजूदा समय में औसतन 5.28 रुपये प्रति यूनिट की लागत पर बिजली खरीदी जा रही है। वर्मा ने कहा कि लगभग 3,000 करोड़ रुपये की महंगी बिजली को खरीदने से बचा जा सकता है। बशर्ते पावर कारपोरेशन प्रबंधन को जरूरी और सख्त कदम उठाने होंगे। बिजली चोरी पर लगाने के लिए विभाग द्वारा जो अभियान चलाए जाते हैं उसमें कर्मचारी ईमानदारी से छापेमारी नहीं करते। कर्मियों को बॉडी वार्म कैमरे देने की योजना आई थी मगर अभी तक कैमरों की खरीद ही नहीं हो सकती। बिजली चोरी पकडऩे के बाद मौके पर डील करने के लगातार आरोप लगते रहते हैं मगर उस पर सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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8000 मिलियन यूनिट बिजली जाती है लाइन लॉस में

उन्होंने कहा कि 13′ वितरण हानियों में करीब 5′ बिजली चोरी है, जो हर साल 8,000 मिलियन यूनिट के बराबर है। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि बिजली चोरी का एक बहुत बड़ा प्रतिशत ऐसा है जिसे विभागीय इंजीनियर लाइन लॉस में शामिल कर देते हैं। लाइनों व ट्रांसफार्मर के बदले जाने के बाद हकीकत में लाइन हानियां काफी कम हैं। यदि इस पर नियंत्रण पा लिया जाए तो कंपनियों का घाटा काफी हद तक कम हो सकता है। वर्मा ने कहा कि 100 प्रतिशत राजस्व वसूली के लिए परफॉर्मेंस आधारित व्यवस्था लागू करनी होगी। ईमानदारी से काम करने वाले अभियंताओं को पदोन्नति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसा करने से अफसरों का ध्यान अपनी परफार्मेंस सुधार पर होगा जिसका लाभ सिस्टम को मिलेगा। वर्मा का कहना है कि अगर कर्मचारी ईमानदारी से काम करें तो बिजली चोरी पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।

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सख्ती से ही सुधर सकती है व्यवस्था

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से ही सिस्टम में सुधार और राजस्व वसूली में बढ़ोतरी नहीं हो जाएगी। घाटे को कम करने के लिए पारदर्शी नीति और कठोर कदम उठाए होंगे। बिजली क्षेत्र की सेहत सुधारी जा सकती है और उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना निजीकरण से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सुधार के लिए बिजली कंपनियों का निजीकरण करना ही एकमात्र विकल्प नहीं है। वर्मा ने कहा कि वास्तव में प्रबंधन सुधार से अधिक ध्यान निजीकरण पर दे रहा है और यह बड़े औद्योगिक घरानों के इशारे पर हो रहा है। यूपी का ऊर्जा क्षेत्र मोटा मुनाफा दे सकता है इसी वजह से निजी घराने में इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं और पावर कारपोरेशन प्रबंधन उसमें उनका साथ दे रहा है।

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