युद्ध, उन्माद, तनाव एक अस्थायी भाव है जिसमें कोई व्यक्ति अथवा समाज किसी बहकावे अथवा भड़काव पर शामिल हो जाता है और व्यवस्था को ध्वस्त करने पर आमादा हो जाता है।
परंतु व्यक्ति अथवा समाज का जीवन इस ध्वस्त व्यवस्था से चल नहीं सकता। वह युद्ध में लगातार तभी शामिल हो सकता है जबकि उसे वास्तव में अपने अस्तित्व पर खतरा दिखे। अस्तित्व पर खतरा दिखने के लिए एक शत्रु का होना अनिवार्य है। शत्रु के बिना कोई भला कैसे और कब तक युद्ध लड़ेगा।
अब कोई व्यक्ति किसी से बहस के लिए आमादा हो और सामने वाला उस व्यक्ति के हर भड़काऊ बात पर या तो ये कहे कि हाँ भाई तुम सही कह रहे हो अथवा मौन साध ले तो अंततः झगड़ा होने के संभावना पर विराम लग जाता है। बुद्धिमान शासक किसी भी बड़े आंदोलन, विरोध प्रदर्शन को इसी तरह से रोकता है। यदि कोई व्यवस्था को ध्वस्त करने को आतुर भी है तो वह दो चार दिन में थक हारकर अपने घर वापिस होने को मजबूर हो जाता है।
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नेपाल में ज़ेन जी आंदोलन में लोगों को देखकर लग रहा है कि ये शांत नहीं होने वाले लेकिन दो तीन दिन बाद ही समझ आ गया कि जिनको हटाना था उन्हें तो हटा ही दिया गया, लेकिन जो आग लगाई गई, बिल्डिंग जलाई गई, लोगों की मॉब लिंचिंग हुई, वह ग़लत था। ऐसा ही श्रीलंका में हुआ, एक महीने में संविधान फिर से अपना काम करने लगा और लोग सड़क से अपने अपने घर वापस हो गए। बांग्लादेश में थोड़ा लंबा खींच गया क्यूंकि पहली बात तो गोलियों से सैकड़ों लोगों को भून दिया गया और दूसरी बात विपक्ष को सरकार ने पहले से ही जेल में ठूस रखा था।
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इसलिए देश में कहीं कोई तोड़फोड़ होती है, धरना प्रदर्शन दंगा होता है, मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। लगा दो आग दस बीस गाड़ी में, जला डालो दो चार बिल्डिंग, फिर से बन जाएगा। इतने बड़े देश में इससे कुछ नहीं होने वाला। ऐसी हज़ार दो हज़ार गाड़ी भी जल जाये तो भी फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला।
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अच्छा जो आग लगा रहे हैं क्या उनका देश नहीं है, या फिर वो टैक्स नहीं देते। हाँ, बस सरकार को अनावश्यक प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए। इनको भोंकने देना चाहिए। कब तक सड़क पर रहेंगे, दो चार दिन में थक हराकर घर जाएँगे ही। अपने आप शांति आ जाएगी। उसके बाद इन तोड़फोड़ को जिन्होंने साज़िशन अंजाम दिया, उनको फिर धीरे धीरे खोजिए और क़ानून के चक्की में पिसना शुरू करिए। बेवजह दिमाग़ गर्म रखकर इनके ट्रैप में नहीं फसना चाहिए।
जो आग लगा रहे हैं, देश उनका भी है और जो बुझाना चाहते हैं, उनका भी है।