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NCRB देश में महिला सुरक्षा का काला सच: 2023 में 4.5 लाख से अधिक मामले दर्ज, हर घंटे 51 शिकायतें

NEW DELHI: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया 2023’ ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताजनक तस्वीर पेश की है। 2023 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 के 4,45,256 मामलों से 0.7% अधिक हैं। यह आंकड़ा बताता है कि औसतन हर घंटे 51 महिलाएं अपराध की शिकार हो रही हैं, प्रति लाख महिला जनसंख्या पर अपराध दर 66.2 घटनाओं तक पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर रिपोर्टिंग के बावजूद वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि कई मामले सामाजिक दबाव या डर के कारण दर्ज ही नहीं होते।

महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराध

NCRB रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में घरेलू हिंसा सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है। पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (IPC धारा 498A) के 1,33,676 मामले दर्ज किए गए, जो कुल मामलों का लगभग 29.8% हैं। इसके बाद अपहरण और छेड़छाड़ के मामले प्रमुख हैं। महिलाओं के अपहरण के 88,605 केस सामने आए, जबकि modesty को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमले के मामले भी हजारों में हैं। बलात्कार के आंकड़े भी कम नहीं, हालांकि रिपोर्ट में कुल रेप मामलों का उल्लेख 7-8% के आसपास है, लेकिन 2017-2022 के बीच हिरासत में रेप के 275 मामले दर्ज हो चुके हैं, जो पुलिस और जेल प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करते हैं।

रिपोर्ट में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले भी चिंतनीय हैं। 2018 के 402 मामलों से बढ़कर 2022 में यह 422 हो गया, और 2023 में भी कोई कमी नहीं दिखी। कुल मिलाकर, 2014 के 3,37,922 मामलों से 2023 तक 30% से अधिक की वृद्धि हुई है।

दिल्ली सबसे असुरक्षित, यूपी में सबसे अधिक मामले

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 66,000 से अधिक मामले दर्ज हुए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। अपहरण और घरेलू क्रूरता के मामलों में यूपी नंबर वन है। प्रति लाख महिलाओं पर अपराध दर के मामले में तेलंगाना (124.9) सबसे ऊपर है, उसके बाद राजस्थान (114.8), ओडिशा (112.4), हरियाणा (110.3) और केरल (86.1) का स्थान है।

महानगरों में दिल्ली लगातार तीसरे साल सबसे असुरक्षित साबित हुई, जहां 13,366 मामले दर्ज हुए—मुंबई (6,025) और बेंगलुरु (4,870) से दोगुने से अधिक। हालांकि, दिल्ली में कुल अपराधों में 7.5% वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन महिलाओं के खिलाफ मामलों में 5.7% कमी आई, जो सतर्कता का संकेत है। NCRB ने चेतावनी दी है कि 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं, जिसमें दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना प्रमुख हैं।

लंबित मामले और कम सजा

NCRB की रिपोर्ट एक कड़वी सच्चाई उजागर करती है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में चार्जशीट दर 75.8% है, लेकिन अदालतों में 23 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। 2023 में 6,67,940 गिरफ्तारियां हुईं (जिनमें 80,490 महिलाएं आरोपी), लेकिन सजा की दर बहुत कम है। उदाहरण के लिए, रेप मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 24 सालों में केवल 5 दोषियों को फांसी हुई। यह देरी न केवल पीड़िताओं को न्याय से वंचित करती है, बल्कि अपराधियों को प्रोत्साहित भी।

मिशन शक्ति से निरभया फंड तक

सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। मिशन शक्ति, सखी वन-स्टॉप सेंटर और निरभया फंड जैसे कार्यक्रमों के तहत ई-एफआईआर, महिला हेल्पडेस्क और डिजिटल शक्ति अभियान चलाए जा रहे हैं। केंद्रीय कानून (संशोधन) अधिनियम 2018 और POCSO जैसे कानूनों ने रिपोर्टिंग बढ़ाई है, लेकिन NCRB के अनुसार, ये आंकड़े पुलिस की निष्क्रियता को नहीं दर्शाते, बल्कि जागरूकता को। फिर भी, विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक बदलाव, तेज न्याय और शिक्षा पर जोर जरूरी है।

NCRB की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि महिला सशक्तिकरण के दावों के बीच सुरक्षा अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। 2023 के आंकड़े बताते हैं कि प्रगति हो रही है, लेकिन गति धीमी है। समाज, सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि हर महिला सुरक्षित महसूस कर सके। जैसा कि NCRB ने कहा, “अपराध दर्ज होना शुरुआत है, न्याय सुनिश्चित करना अंत।” क्या हम इस दिशा में तेजी ला पाएंगे? समय ही बताएगा।

Source: NDTV, PTI, Amar Ujala, Dainik Jagran, AAJtak, ABPlive

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