Site icon The Coverage

UPPCL जब स्मार्ट मीटर लगेंगे तभी तो हो पाएगा पेमेंट

उपभोक्ता परिषद का आरोप यूपी में 6.22 लाख पुराने मीटर गायब

Lucknow: उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर (Smart Meter) लगाने में बिजली कम्पनियां बहुत जल्दबाजी दिखा रही है। स्मार्ट की क्वालिटी पर उठे सवालों के जवाब देने के बाद कम्पनियां मीटर लगाने पर अधिक ध्यान दे रही हैं। इसके लिए ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA) और बड़े निजी घराने पूरी ताकत से लगे हैं। इसका कारण मीटर लगाने के बाद ही निर्माता कम्पनियों को मीटर का पेमेंट होगा।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन का सारा फोकस इन दिनों उत्तर प्रदेश पर ही है। डिस्कॉम एसोसिएशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम के निजीकरण कराने और प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाने की प्लाङ्क्षनग बना रहा है। वजह साफ है कि 27342 करोड़ रुपये के टेंडर का पेमेंट इन्हीं मीटरों की स्थापना पर निर्भर है। जबकि ऊर्जा मंत्रालय ने परियोजना के लिए केवल 18885 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। यानि उत्तर प्रदेश में यह टेंडर लगभग 8500 करोड़ रुपये ज्यादा दर पर जारी किया गया। इस बिन्दु पर सफाई देने के बजाय कपावर कारपोरेशन जल्द से जल्द मीटर लगाने में जुटा है।

पुरानी तकनीक के 12 लाख मीटर अब भी नहीं बदले

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने पश्चिमांचल में लगे इंटेटेली स्मार्ट मीटर को लेकर भी सवाल उठाए। वर्मा के मुताबिक इनकी पैतृक कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने पूर्व में प्रदेश में करीब 12 लाख प्री पेड स्मार्ट मीटर लगाए थे। वह सभी मीटर पुरानी 2जी और 3जी तकनीक वाले थे। ईईएसएल ने पुराने स्मार्ट मीटर अभी तक नहीं बदले हैं। यह मीटर ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल आलोक कुमार के कार्यकाल में ही लगाए गए थे जिनका खामियाजा उपभोक्ता आज भी भुगत रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: यूपी में सोलर पैनल लगवाने वालों को मिलेगी और अधिक छूट

प्रचार पर जोर, गुणवत्ता पर नहीं

परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत उपभोक्ताओं से वीडियो बनाकर ट्विटर पर अपलोड की जाए कि मीटर सही चल रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर घटिया नहीं है उसकी क्वालिटी अच्छी है। वर्मा का कहना है कि यदि मीटर वास्तव में उच्च गुणवत्ता के हैं तो ट्विटर या वीडियो बनवाकर प्रचार की जरूरत नहीं है। अच्छे मीटर अपनी सच्चाई खुद बयां करेंगे।

बिहार और चंडीगढ़ का उदाहरण

वर्मा ने काह कि बिहार में भी स्मार्ट मीटर लगाने की जल्दबाजी की गई, जब जांच हुई तो गड़बड़ी सामने आ गई थी। उन्होंने काह कि मामले में ईडी की जांच के बाद एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को जेल तक जाना पड़ा था। आरोप था कि मीटर निर्माता कंपनी ने उन्हें भारी रकम और चंडीगढ़ में बंगला तक दिया था। अवधेश वर्मा ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत प्रदेश के उपभोक्ताओं से नहीं वसूली जाएगी। इस पर भारत सरकार पहले ही आदेश दे चुकी है और विद्युत नियामक आयोग ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इसके बावजूद एक लॉबी सक्रिय है, जो इस परियोजना में अपने हित साधने में जुटी है।

Exit mobile version