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यूपी के विद्युत कर्मचारियों का वेतन रोकने की तैयारी

Lucknow: यूपी के विद्युत कर्मी निजीकरण (Privatization) के साथ घर में मीटर न लगाने का विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों (Employees) के घर मीटर लग सकें इसके लिए कारपोरेशन (UPPCL) प्रबंधन ने आदेश किया कि मीटर (Meter) लगाने की सहमति देने पर ही सरकारी आवास मिलेगा। आने वाले कुछ दिनों में एक और आदेश आने वाला है। यह आदेश जुलाई माह का वेतन रोकने का होगा। यानि जो कर्मचारी मीटर लगवाने का सहमति पत्र साइन नहीं करेगा उसको जुलाई माह का वेतन नहीं मिलेगा। शक्ति भवन यह आदेश निर्गत करने की तैयारी कर रहा है।

उत्तर प्रदेश में नियमित विद्युत कर्मियों की संख्या करीब 35 हजार है। इसके अलावा दस हजार से अधिक पेंशन भोगी कर्मी भी हैं। दोनों ही श्रेणी के लोगों को रियायती दर पर बिजली मिलती है। प्रबंधन ने कर्मचारियों के घर मीटर लगाने का फरमान जारी किया है। यह मीटर हर हालत में लगाए जाने हैं। इसके लिए लगातार नये-नये आदेश जारी हो रहे हैं। पिछले दिनों अध्यक्ष आशीष गोयल ने आदेश दे दिया कि जो भी कर्मचारी मीटर लगाने का सहमति पत्र देगा उसी को सरकारी आवास आवंटित किया जाएगा।

यह आदेश उस समय में किया गया जब बड़ी संख्या में इंजीनियरों के तबादले हुए और उनका जिला बदल गया। नये जिले में सरकारी आवास लेने के लिए उन्हें मीटर लगवाने का सहमति पत्र देना होगा। जो सहमति पत्र नहीं दे रहे हैं उनका आवास नहीं मिल पा रहा है।

2005-06 में आया था मीटर लगाने का आदेश

विद्युत कर्मियों के घर मीटर लगें यह आदेश अभी का नहीं बल्कि दस साल पहले का है। विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने वर्ष 2005-06 में मीटर लगाने का आदेश किया था। इसकी शुरुआत लखनऊ लेसा से होनी थी। तत्कालीन मुख्य अभियंता (Chief Engineer) लेसा अरूण के ऊपर जब शक्ति भवन का दबाव बना तो वह कर्मचारियों की कालोनी चन्द्रलोक में मीटर कर्मियों के साथ पहुंचे। कालोनी के निवासियों ने हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी के बीच औपचारिकता पूरी करते हुए अरूण वापस लौट आए। इसके बाद से ही कर्मियों के घर मीटर लगाने का अभियान ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।

प्रबंधन के दांव में उलझे कर्मी

बीते सात माह से कर्मचारी व इंजीनियर पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों के जोर पकड़ रहे विरोध के बीच प्रबंधन ने नया दांव खेला। कारपोरेशन प्रबंधन ने कर्मचारियों को नयी परेशानी सौंप दी। अब कर्मचारी निजीकरण के विरोध से पहले घर में मीटर न लगे इसके लिए लड़ाई लडऩे लगे। कर्मचारियों का सारा ध्यान इस ओर शिफ्ट हो गया। अब कर्मी गुट बनाकर मुख्य अभियंता दफ्तर पर जाकर नारेबाजी कर रहे हैं। उधर प्रबंधन का बयान है कि मीटर लगाने की प्रक्रिया केवल इनर्जी एकाउंटिंग के लिए है।

इस मुद्दे पर जनता विरोध में

विद्युत कर्मचारियों के घर मीटर लगेंगे यह सुनकर आम आदमी काफी खुश है। हर माह एक हजार से चार हजार रुपये का बिल जमा करने वाली जनता हमेशा से चाहती थी कि कर्मचारियों के घर भी मीटर लगें। क्योंकि हकीकत यह है कि विद्युत कर्मी रियायती दर पर मिलने वाली बिजली को खूब दुरपयोग करते हैं। कर्मियों के घरों में गैस चूल्हे के बजाय हीटर व इंडक्शन पर खाना पकता है। दो से तीन एसी लगाए जाते हैं। किराएदारों को बिजली बेची जाती है। पड़ोसी तक को सब मीटर लगाकर कर्मचारी बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। इन्हें देखकर आम जनता हमेशा से खुद का ठगा महसूस करती रही है। यही वजह है कि अब आम लोग कर्मियों के घर मीटर लगे देखकर राहत महसूस कर रहे हैं।

किसको कितना देना होता है बिल

श्रेणी फिक्स चार्ज इनर्जी चार्ज इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी कुल
चीफ इंजीनियर 650 880 306 1836
सुपरीटेंडेंट इंजीनियर 595 760 271 1626
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर 325 645 194 1164
असिस्टेंट इंजीनियर 305 605 182 1092
जूनियर इंजीनियर 280 460 148 880
क्लर्क 205 245 90 540
चपरासी 175 195 74 444

एयरकंडीशन घोषित करने पर प्रति ऐसी 650 रुपये बिल में अतिरिक्त जोड़े जाते हैं।

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