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राज्यभर में कर्मचारियों का सत्याग्रह और भूख हड़ताल, मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

LUCKNOW: राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर मंगलवार को प्रदेश के 75 जनपदों में गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह एवं एक दिवसीय भूख हड़ताल आयोजित की गई। इस अवसर पर सभी जिला मुख्यालयों पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

सचिवालय प्रवेश पत्रों पर रोक से नाराज़गी

मोर्चा पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि अब स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि विभिन्न कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष और महामंत्रियों के सचिवालय प्रवेश पत्र तक जारी नहीं किए जा रहे हैं। लखनऊ में नगर निगम पर एकत्र होकर श्री बी.एन. सिंह की प्रतिमा के समक्ष भूख हड़ताल की गई, जहां पुलिस आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।

लंबित मांगों को लेकर बढ़ा आक्रोश

मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्रा और संयोजक सतीश कुमार पांडे ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री वी.पी. मिश्रा ने की, जो स्वयं भूख हड़ताल पर बैठे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बीते आठ वर्षों से भाजपा की सरकार है, लेकिन मुख्यमंत्री ने एक बार भी कर्मचारियों और शिक्षकों की मांगों पर बैठक नहीं की। 18 नवम्बर 2024 को मुख्य सचिव स्तर पर हुई बैठक के निर्णयों का कार्यवृत्त तक अब तक जारी नहीं किया गया, जिससे कर्मचारियों में भारी असंतोष है।

मांगों की अनदेखी से चुनावों पर असर

महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से उत्पन्न विसंगतियों, सेवा नियमावली, आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, रिक्त पदों पर नियुक्तियों, शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मांगों सहित कई अहम मुद्दों पर सरकार की उदासीनता से भविष्य के चुनावों में इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

संवादहीनता के चलते गंभीर स्थिति

संयोजक सतीश पांडे ने आरोप लगाया कि मोर्चा के पदाधिकारियों के सचिवालय प्रवेश पत्र फाइलें प्रमुख सचिव (कार्मिक) के पास लटकी हैं और संवादहीनता की स्थिति से कर्मचारी वर्ग में भारी रोष है। उन्होंने आशंका जताई कि सरकार जानबूझकर कर्मचारी और शिक्षक संगठनों को खत्म करने की दिशा में बढ़ रही है।

प्रमुख संगठन रहे शामिल

इस आंदोलन में मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश कुमार मिश्रा, राजकीय निगम महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा, डी.के. यादव, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, माध्यमिक शिक्षक संघ, फॉरेस्ट कर्मचारी फेडरेशन, फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, अशोक कुमार, एक्स-रे टेक्नीशियन संघ के दिलीप यादव, राम कुमार धानुक, सुभाष, डी.सी. राव, दिनेश कुमार आदि प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे।

कार्यक्रम में निर्णय लिया गया कि यदि सरकार की ओर से सकारात्मक पहल नहीं होती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजय कुमार शुक्ल ने मोर्चा के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।

प्रमुख मांगे:

  1. पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
  2. सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों से उत्पन्न विसंगतियों को दूर कर वेतन समिति की रिपोर्ट प्रकाशित की जाए एवं उसका लाभ सभी विभागों के कर्मचारियों को मिले।
  3. 1 जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2021 तक फ्रीज किए गए महंगाई भत्ते का एरियर दिया जाए।
  4. बंद किए गए परिवार नियोजन, सीसीए समेत अन्य भत्तों को बहाल किया जाए।
  5. आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन की गारंटी और रिक्त पदों पर वरीयता के आधार पर नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।

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