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महाभारतकालीन लाक्षागृह को संरक्षित करेगा पर्यटन विभाग

पर्यटन विभाग बताएगा कैसा था पांडवों के लिए बना लाख का भवन

Baghpat: पर्यटन विभाग ने महाभारत काल के निशानों को संवारने जा रहा है। इस कड़ी में पर्यटन विभाग बागपत जिले में स्थित महाभारतकालीन स्थल लाक्षागृह को संवारकर विश्व पटल पर नई पहचान दिलाएगा। बड़ौत तहसील के बरनावा (वारणावत) गांव में हैं। इसी जगह पर लाख का भवन बनवाकर कौरवों द्वारा पांठवों को जिंदा जलाने की कोशिश की थी। यह जगह महाभारत की एक जिंदा निशानी है। लाक्षागृह को संरक्षित करने के लिए पर्यटन विभाग एक करोड़ रुपये खर्च करेगा।

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि लाक्षागृह जैसे महाभारत कालीन ऐतिहासिक स्थल को धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करने की कोशिश है। है। लाक्षागृह महाभारत काल के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जहां कौरवों ने पांडवों को जिंदा जलाने के लिए लाख का घर बनवाया था। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण और विकास से बागपत धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर और सशक्त होगा। बागपत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए पर्यटन विभाग ने लाक्षागृह के विकास की एक पहल की जा रही है। लाक्षागृह की संरक्षण परियोजना के तहत पर्यटन स्थल पर सौंदर्यीकरण, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छ शौचालय, सूचना केंद्र और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इन सुविधाओं के विकसित होने से न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि जनपद की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी नई पहचान मिलेगी।

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लोग जान सकेंगे कैसा था लाक्षागृह

जयवीर सिंह ने बताया कि बागपत जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बरनावा (वारणावत) स्थित पांडवकालीन लाक्षागृह एक ऐतिहासिक धरोहर है। आज कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इसकी जानकारी नहीं क्योंकि इसका प्रचार प्रसार नहीं हुए। पर्यटन मानचित्र पर इसके निशान बहुत मुश्किल से खोजे मिलते हैं। बागपत-मेरठ हाईवे के पास बने एक प्रवेश द्वार से होकर मुख्य स्थल तक पहुंचा जाता है। इसी द्वार से लाक्षागृह की पुरानी इमारत साफ दिखाई देती है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव यहां निवास करते थे। टीले पर सीढिय़ों के माध्यम से ऊपर चढ़ते ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का बोर्ड नजर आता है। मौजूदा समय में यह जगह एएसआई के अधीन है। उम्मीद की जा रही है कि स्थल के संरक्षण के बाद अधिक लोगों को इसकी जानकारी मिलेगी और बड़ी संख्या में पर्यटक इस ऐतिहासिक स्थल को देख सकेंगे। पर्यटन विभाग की योजना है कि देश की जनता खासकर युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास से परिचत हो।

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पिछले साल 16,73,555 पर्यटकों ने देखा लाक्षागृह

पर्यटन मंत्री ने बताया कि बागपत पर्यटन के लिहाज से यह स्थल तेजी से उभर रहा है। सोशल मीडिया पर वीडियो व फोटो आने के बाद साल 2024 में यहां 16,73,555 पर्यटक पहुंचे। पर्यटन विभाग का अनुमान है कि साल के अंत तक यह आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच सकता है। मेरठ से सटा होने और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निकट होने के कारण पर्यटक यहां आसानी से पहुंच पा रहे हैं। आगंतुकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। बागपत महाभारत कालीन और पौराणिक स्थलों के लिए विख्यात है। जिले में लाक्षागृह, पुरा महादेव, जैन धर्मावलंबियों का त्रिलोक तीर्थ धाम सहित कई पवित्र स्थल हैं। सरकार का प्रयास है कि इन स्थलों को विश्व पर्यटन गंतव्य को और अधिक सशक्त तरीके से स्थापित किया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की पहचान एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य के रूप में और मजबूत हो सके।

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