अखिलेश यादव की ‘पीडीए पाठशाला’ के दबाव में योगी सरकार ने लिया स्कूल मर्जर का फैसला वापस

LUCKNOW: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के मर्जर के अपने विवादास्पद फैसले में बड़ा संशोधन किया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ‘पीडीए पाठशाला’ आंदोलन के तीव्र विरोध के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। नए निर्देशों के अनुसार, अब एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूलों, हाईवे, नदी या रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित स्कूलों, और 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों का विलय नहीं होगा।
अखिलेश यादव ने इस फैसले को ‘पीडीए पाठशाला’ आंदोलन की ऐतिहासिक जीत करार दिया है। उन्होंने कहा, “स्कूल मर्जर का फैसला वापस लेना ‘पीडीए पाठशाला’ की महाजीत है। यह शिक्षा के अधिकार की रक्षा और भाजपा की नैतिक हार है। हमने साबित किया कि जनता की आवाज के आगे सत्ता को झुकना पड़ता है।” सपा प्रमुख ने पहले स्कूल मर्जर के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया था और बंद किए गए स्कूलों में ‘पीडीए पाठशाला’ शुरू करने की घोषणा की थी, जिसके तहत पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) समुदायों के बच्चों को शिक्षा देने का वादा किया गया था।
सरकार के इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों बच्चों को राहत मिलने की उम्मीद है, जिन्हें स्कूल मर्जर के कारण लंबी दूरी तय कर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संशोधित नीति के तहत स्कूलों की समीक्षा की जाएगी और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्णय लागू किए जाएंगे।
इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की सियासत में भी हलचल मचा दी है। सपा इसे अपनी रणनीति की सफलता के रूप में पेश कर रही है, जबकि भाजपा ने इसे प्रशासनिक सुधार का हिस्सा बताया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।