गोंडा में शुरू हुई मनोरमा नदी के पुनर्जीवन की मुहिम
बहाल होगी जलधारा, हरियाली और जैव विविधता के लिए पीपल, नीम, पाकड़ जैसे देशी वृक्षों का होगा किनारों पर रोपण

GONDA:उत्तर प्रदेश सरकार अब नदियों को सिर्फ जलधाराओं के रूप में नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर के रूप में पुनर्जीवित करने में जुटी है। इसी क्रम में गोंडा जनपद में ‘मनोरमा नदी’ के पुनर्जीवन की ऐतिहासिक पहल शुरू की गई है। यह सिर्फ एक नदी की सफाई नहीं, बल्कि एक समूची सांस्कृतिक चेतना और जैविक संतुलन को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है, जिसे सरकार जनभागीदारी के माध्यम से जन आंदोलन का स्वरूप दे रही है।
गौरतलब है कि मनोरमा नदी का अस्तित्व बीते वर्षों में लगभग समाप्तप्राय हो गया था। गाद, अतिक्रमण और जलस्रोतों के सूख जाने से इसका जल बहाव बाधित हो गया था। मनोरमा नदी का पुनर्जीवन न केवल जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर होगा, बल्कि यह जनपद की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक पहचान को फिर से स्थापित करने का माध्यम भी बनेगा।
समग्र पर्यावरणीय और सामाजिक पुनर्जागरण की शुरुआत
जनपद गोंडा की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान रही मनोरमा नदी अब एक बार फिर जीवनदायिनी बनने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने नदी के पुनर्जीवन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत, नदी की सफाई, गाद हटाने, वृक्षारोपण और जनसहभागिता के माध्यम से नदी को फिर से बहाल करने की दिशा में ठोस कार्यवाही की जा रही है।
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जिलाधिकारी ने मनोरमा सरोवर से निकलने वाली मनोरमा नदी के पूरे प्रवाह पथ का स्थल निरीक्षण करते हुए संबंधित विभागों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। मनोरमा नदी के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा, “मनोरमा नदी केवल जलस्रोत नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इसका पुनर्जीवन जनपदवासियों के लिए एक गौरव का विषय होगा।” यह पहल जनपद में एक समग्र पर्यावरणीय और सामाजिक पुनर्जागरण की शुरुआत है।
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वृक्षारोपण और जैव विविधता का संरक्षण
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि मनोरमा नदी की दोनों तरफ वृक्षारोपण की योजना बनाई जाए, जिससे नदी तट पर हरियाली बढ़े और जैव विविधता को संरक्षण मिले। इसके अंतर्गत पीपल, नीम, पाकड़ जैसे देशी प्रजातियों के पौधों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। वन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
जिलाधिकारी ने पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से नदी की गाद और कचरे की सफाई का कार्य तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गोण्डा-बलरामपुर रोड से लेकर ताड़ी लाल गांव तक नदी के प्रवाह को पूर्ण रूप से साफ किया जाए और जलधारा को पुनः प्रवाहित किया जाए।
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विभागीय समन्वय की मिसाल
इस पूरी प्रक्रिया में विभिन्न विभागों के समन्वय से कार्य किया जा रहा है। डीसी मनरेगा को श्रमिकों की व्यवस्था और योजनाबद्ध कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि वन विभाग को वृक्षारोपण की कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है। सिंचाई विभाग को नदी की दिशा और संरचना का तकनीकी आंकलन करने का कार्य सौंपा गया है। जिलाधिकारी ने इस पहल को केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि जन आंदोलन के रूप में विकसित करने की बात कही। ग्राम पंचायतों और स्थानीय समाजसेवियों को जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं ताकि लोग इस पुनर्जीवन कार्य को अपने स्वाभिमान और सांस्कृतिक गौरव से जोड़ें।
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मनोरमा नदी: सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक
मनोरमा नदी उत्तर प्रदेश की एक 115 किलोमीटर लंबी पौराणिक नदी है, जो गोण्डा और बस्ती जिलों से होकर बहती है। इसका उद्गम गोण्डा जिले के तिर्रे ताल से होता है और यह बस्ती के परशुरामपुर क्षेत्र से गुजरते हुए महुली के पास कुआनो नदी में मिल जाती है। इस नदी का नाम महर्षि उद्दालक की पुत्री मनोरमा के नाम पर पड़ा और इसका उल्लेख प्राचीन पुराणों में भी मिलता है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व स्थापित होता है। मखौड़ा धाम के निकट बहने वाली इस नदी को पवित्र माना जाता है और इसे अनेक धार्मिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है।