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KGMU: कोरोना काल में खरीदी गई सामग्री में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, ईमेल भेज कार्यवाही की मांग

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी पर लगाए गंभीर आरोप, 18 रुपये वाली किट 26.32 में खरीदी, केजीएमयू को 10 करोड़ का नुकसान

Lucknow: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में कोविड (COVID 19) के दौरान आरटीपीसीआर (RTPCR) किट समेत अन्य सामग्री की खरीद में धांधली के गम्‍भीर आरोप लगे हैं। सुनील गुप्‍ता नाम के शिकायतकर्ता ने इस बार केजीएमयू प्रशासन और फैकल्‍टी को ईमेल भेजकर गंभीर सवाल उठाए हैं। शिकायतकर्ता ने माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) विभाग की डाक्टर की भूमिका पर आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की है।

शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपी डाक्टर का रिटायरमेंट नजदीक है, समय पर जांच को पूरा नहीं किया जाता है तो बाद में केजीएमयू (KGMU) प्रशासन मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर सकेगा।

पहले शिकायत पर नहीं हुई थी कार्यवाही

ई-मेल के जरिए शिकायत करने वाले सुनील गुप्ता ने अपने पत्र में कहा कि आरटीपीसीआर (RTPCR) किट व प्लास्टिक वेयर खरीद मामले की पहले शिकायतें हुईं थीं जिस पर वित्त एवं लेखा विभाग की ओर से 28 जुलाई 2022 को माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) विभाग की एचओडी को पत्र लिखकर अप्रैल 2019 से मार्च 2021 के बीच के सभी अभिलेखों की रिपोर्ट तलब की थी। मामला शासन तक भी गया था और शासन की ऑडिट रिपोर्ट में सामग्री खरीद के विषय में स्पष्टीकरण मांगा गया था।

सुनील ने पत्र में यह आरोप भी लगाया है कि विजन डायग्नोस्टिक्स को अनुचित लाभ दिया गया और सकरारी धन का दुरुपयोग किया गया है। जिसके लिए अन्य फैकल्‍टी मेम्‍बर्स पर तो कार्रवाई की गई लेकिन माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी पर केजीएमयू प्रशासन ने चुप्पी साध ली। सुनील ने भ्रष्टïचार के लिए माइक्रोबायोलॉजी की एचओडी डाक्टर को आरोपी बताते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।

अधिक कीमत में खरीदी गई सामग्री

आरोप है कि किट खरीद में तकनीकी मानकों में हेराफेरी करके थर्मो फिशर (विजन डायग्नोस्टिक्स) को लाभ पहुंचाया गया। जिस किट को कम्पनी ने महाराष्‍ट्र में 18.48 रुपये में बेचा उसे केजीएमयू (KGMU) ने 26.32 रुपये में खरीद लिया। आरोप यह भी लगा था कि किट आईसीएमआर (ICMR) द्वारा तय मानकों पर भी खरी नहीं उतर रही है। इससे केजीएमयू (KGMU) को अनुमानित 7-10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

इतना ही नहीं अनियमितताओं के बावजूद विजन डायग्नोस्टिक्स (Vision Diagnostics) को भुगतान कर दिया गया जबकि अन्य कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया। सुनील के मुताबिक प्लास्टिक वेयर खरीद घोटाले में फंसी में जो सामग्री कम्पनी दूसरे राज्य में 240 रुपये में बेच रही थी उसे केजीएमयू ने 262 प्रतिशत अधिक मूल्य पर लगभग 513.30 रुपये में क्रय कर लिया। इससे सिर्फ एक उत्पाद में संस्थान को 92.24 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

रिटायरमेंट से पहले करें कार्रवाई

पत्र में सुनील ने कहा कि आरोपी डॉक्‍टर का रिटायरमेंट नजदीक है। रिटायरमेंट से पहले ही माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी व आरोपी डाक्टर को निलम्बित करते हुए स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए। सुनील ने लिखा कि साल 2020-2023 के बीच माइक्रोबायोलॉजी विभाग में हुई खरीद फरोख्त खासकर जो विजन डायग्नोस्टिक्स की गई जो उसकी विस्तृत जांच की जाए। सरकारी धन की रिकवरी के लिए सख्त नियम बनाएं। विजन डायग्नोस्टिक्स से किए जाने वाले लेन देन पर रोक लगाई जाए।

कार्रवाई नहीं, पर कर दिया ई-मेल का रिप्लाई

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. केके सिंह का कहना है कि सुनील गुप्ता के नाम से जो ई-मेल मिला है उस मामले में कार्रवाई करने में दिक्कत आ रही है। पत्र में शिकायतकर्ता ने कोई हस्ताक्षर नहीं किए है। उसने अपना मोबाइल नम्बर और पता भी नहीं लिखा है जिस कारण उससे सम्पर्क करना मुश्किल हो रहा है।

ई-मेल पर रिप्लाई कर सुनील से भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए शपथ पत्र मांगा गया है। उनसे यह भी कहा गया कि वह केजीएमयू आकर अपना बयान दर्ज कराएं। डॉ. सिंह ने बताया कि सुनील के द्वारा यह कहा जा रहा है कि वह केजीएमयू आ नहीं सकते हैं। ऐसे में प्रकरण में कार्रवाई करना मुश्किल है।

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