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श्रावस्ती में जीवनदायनी बनेगी विलुप्त बूढ़ी राप्ती नदी, किसानों को होगा फायदा

श्रावस्ती में बूढ़ी राप्ती के पुनरोद्धार का कार्य शुरू, 54 गांवों को मिलेगा फायदा, नदी की लंबाई 67.03 किमी और कैचमेंट एरिया 18356.64 हेक्टेयर, नदी का 16.91 किमी का हिस्सा है अवरोधित

LUCKNOW: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर श्रावस्ती की विलुप्तप्राय बूढ़ी राप्ती नदी अब फिर से जीवनदायिनी बनने जा रही है। जनसहयोग और मनरेगा के माध्यम से चल रहे पुनरोद्धार अभियान से न केवल क्षेत्र का पर्यावरणीय संतुलन सधेगा, बल्कि 54 गांवों के किसानों को भी सिंचाई के बेहतर विकल्प मिलेंगे। जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी के नेतृत्व में शुरू हुई इस ऐतिहासिक पहल से यह 67 किमी लंबी नदी एक बार फिर अपने प्राकृतिक प्रवाह की ओर लौटेगी, जिससे कृषि, जल प्रबंधन और स्थानीय पारिस्थितिकी को नई संजीवनी मिलेगी।

जनसहयोग और मनरेगा योजना से पुराने स्वरूप में लाैटेगी बूढ़ी राप्ती

श्रावस्ती जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जल संकट और पर्यावरणीय संतुलन बनाने के लिए श्रावस्ती में विलुप्त हो रही राप्ती नदी के पुनरोद्धार के लिए काम किया जा रहा है। ऐसे में बूढ़ी राप्ती नदी काे पुनर्जीवित करने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकी से नदी के संरेखण का चिन्हांकन किया गया और अब इस पर काम शुरू हो चुका है। इस कड़ी में जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी और मुख्य विकास अधिकारी शाहिद अहमद ने पूजा-अर्चना के बाद फावड़ा चलाकर कार्य का शुभारंभ किया।

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बूढ़ी राप्ती नदी के पुनरोद्धार का कार्य जनसहयोग और मनरेगा योजना के तहत बड़े पैमाने पर किया जाएगा। बरसात के बाद नदी की सफाई और प्रवाह को पुनः ठीक करने का कार्य वृहद स्तर पर किया जाएगा, ताकि नदी अगले वर्ष अपने स्वाभाविक रूप में लौट सके। उन्होंने बताया कि बूढ़ी राप्ती नदी की कुल लंबाई 67.03 किमी है, और इसका कैचमेंट एरिया 18356.64 हेक्टेयर है। नदी का 16.91 किमी हिस्सा अवरोधित है, जबकि शेष 51.12 किमी का हिस्सा स्वाभाविक रूप में मौजूद है। इस पुनरोद्धार कार्य में नदी के प्रवाह क्षेत्र को सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

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54 गांवों के किसानों को होगा सीधा लाभ

बूढ़ी नदी के पुनर्जीवित होने से आसपास के किसानों को जल आपूर्ति में मदद मिलेगी, जिससे उनकी कृषि गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। बूढ़ी राप्ती नदी 54 ग्रामों से गुजरती है और अंत में राप्ती नदी में मिल जाती है। सर्वेक्षण के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि नदी के प्रवाह क्षेत्र में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है। नदी के सफाई कार्य में मिट्टी की मात्रा का आंकलन कर इसे पुनः जीवन प्रदान किया जाएगा।

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यह कार्य प्रदेश में जल प्रबंधन के नए मानक स्थापित करने में मदद करेगा और किसान समुदाय को जल आपूर्ति की बेहतर स्थिति प्रदान करेगा। इस पुनरोद्धार कार्य से न केवल पर्यावरणीय संतुलन होगा, बल्कि किसानों को जल आपूर्ति में भी सुधार मिलेगा। नदी के पुनजीवित होने से आसपास के किसानों को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिलेगा, जिससे उनकी कृषि गतिविधियों को सहारा मिलेगा।

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