UP

स्कूल-कॉलेजों में महिला शौचालय की बदहाली का मुद्दा सदन में गूंजा

अधिकांश स्कूल-कॉलेजो में सेनेट्री नैपकीन की कोई व्यवस्था नहीं

Lucknow: एक ओर सरकार स्वच्छता मिशन अभियान चला रही है वहीं स्थिति यह है कि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों व कॉलेजों में शौचालय (Toilets) बदहाल हैं। इस बदहाली का मुद्दा मंगलवार को विधानपरिषद (Legislative Council) में भी गूंजा।

सदस्य विजय बहादुर पाठक (Member Vijay Bahadur Pathak) ने राज्य सरकार से मांग की कि प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाकर स्कूल-कॉलेजों के शौचालयों को दुरुस्त कराया जाए और छात्राओं के लिए सेनेेट्री नैपकीन की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। श्री पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में व्यापक स्वच्छता अभियान चल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है। कई स्कूल-कॉलेजों में आज भी गंदगी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिसका सीधा असर छात्रों के स्वास्थ्य, उपस्थिति और पढ़ाई पर पड़ रहा है।

पानी, साबुन व डस्टबिन तक नहीं

श्री पाठक ने कहा कि अनेक स्कूल-कॉलेजों में शौचालयों की नियमित सफाई नहीं होती। कई जगह पानी, साबुन, डस्टबिन जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। राजधानी लखनऊ जैसे शहर में भी छात्र-छात्राएं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए परेशान हैं। कई शौचालयों में दरवाजे टूटे हुए हैं, कहीं खिड़कियों के शीशे गायब हैं तो कहीं प्रकाश की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में छात्राएं शौचालयों के उपयोग से कतराने लगती हैं, जो न केवल उनके स्वास्थ्य बल्कि उनके सम्मान और सुरक्षा के लिए भी अत्यंत चिंताजनक है।

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एक दर्जन से अधिक कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब

विजय बहादुर पाठक ने राजधानी स्थित आई.टी., गुरूनानक गल्र्स पी.जी. कॉलेज सहित एक दर्जन से अधिक कॉलेजों का विशेष रूप से उल्लेख किया, जहां महिला शौचालयों की स्थिति बेहद खराब बताई गई। इसके साथ ही उन्होंने गाजियाबाद, आजमगढ़, बरेली, जौनपुर और पीलीभीत जैसे जनपदों के विद्यालयों में भी इसी तरह के हालात होने की जानकारी सदन को दी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के अधिकांश महिला विद्यालयों और कॉलेजों में सेनेट्री नैपकीन की कोई व्यवस्था नहीं है। जहां पहले कुछ संस्थानों में वेंडिंग मशीनें लगाई गई थीं, वहां से उन्हें भी हटा लिया गया है। यह स्थिति किशोरियों और छात्राओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य के प्रति घोर लापरवाही को दर्शाती है और सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े करती है।

उन्होंने कहा कि यदि छात्राओं को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण नहीं मिलेगा तो शिक्षा में उनकी निरंतरता और आत्मविश्वास दोनों प्रभावित होंगे। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेते हुए विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्वच्छता व्यवस्था को सुदृढ़ करे, महिला शौचालयों की मरम्मत और नियमित सफाई करायी जाये और सेनेट्री नैपकीन की उपलब्धता के लिए ठोस और स्थायी व्यवस्था लागू करे। उन्होंने कहा कि छात्राओं को सुरक्षित, स्वच्छ और सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसके लिए एक विशेष राज्यव्यापी अभियान चलाया जाना अत्यंत आवश्यक है।

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