सीबीएमआर में 35 लोगों ने लिया अंगदान का संकल्प

राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर ‘अंगदान जीवन संजीवनी अभियान’ का आयोजन
LUCKNOW: सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर), लखनऊ में शुक्रवार को 15वें भारतीय अंगदान दिवस (Organ Donation Day) के उपलक्ष्य में ‘अंगदान जीवन संजीवनी अभियान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम से प्रेरित होकर 35 प्रतिभागियों ने अंगदान का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, एसजीपीजीआई(SGPGI) के नेफ्रोलॉजी(Nephrology) विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने कहा, “हर साल देश में लाखों मरीज अंग प्रत्यारोपण के अभाव में दम तोड़ देते हैं। इनमें से सबसे अधिक संख्या किडनी के रोगियों की होती है। यदि समय पर गुर्दा प्रत्यारोपण न हो पाए, तो डायलिसिस पर निर्भर रोगियों की औसत आयु केवल चार से पांच वर्ष रह जाती है।”
सीबीएमआर के निदेशक प्रो. आलोक धवन ने संस्थान के सभी शोधार्थियों और कर्मियों से अपील की कि वे इस पुनीत कार्य में भागीदारी निभाते हुए अंगदान के ज़रिए ज़रूरतमंद मरीजों की जिंदगी बचाने में योगदान दें।
देश में अंगदान की स्थिति
डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2024 में भारत में 1130 ब्रेन डेड डोनर के ज़रिए 3152 अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) किए गए। हालांकि, मृतक अंगदान दर के मामले में भारत 94 देशों में 68वें स्थान पर है। देश में कुल 941 पंजीकृत केंद्रों में से केवल 688 में ही अंग प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश इस सूची में सातवें स्थान पर है। अब तक देश में 68 हाथों के प्रत्यारोपण भी किए जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से आठ लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकती है — जिनमें दो गुर्दे, दो फेफड़े, यकृत (लिवर), हृदय, आंत और अग्नाशय शामिल हैं। इसके अलावा कॉर्निया, त्वचा, हड्डियाँ और हृदय वाल्व जैसे ऊतक भी दान किए जा सकते हैं।
डॉ. प्रसाद ने आमजन से राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के वेब पोर्टल पर जाकर अंगदान के लिए पंजीकरण करने की अपील की। अब तक 2.16 लाख से अधिक लोग अंगदान की प्रतिज्ञा कर चुके हैं।