शिशु को स्तनपान कराना मां की सेहत के लिए भी फायदेमंद

Lucknow:
शिशु को स्तनपान (Breastfeeding) कराने से न सिर्फ उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वह बीमारियों से बचता है बल्कि मां की सेहत भी दुरुस्त रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु को स्तनपान कराना मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद है।
क्वीन मेरी अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल का कहना है कि बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराने से उसे सम्पूर्ण पोषण मिलता है और उसे पानी की भी जरूरत नहीं होती है। किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने की शक्ति मिलती है और बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जो बच्चे छह माह तक केवल माँ के दूध पर निर्भर रहते हैं और दो साल तक लगातार माँ का दूध पीते हैं उनका बौद्धिक विकास अच्छा होता है और भविष्य में विभिन्न बीमारियों विशेषकर डायबिटीज होने की सम्भावना कम होती है।
वही यदि माँ बच्चे को स्तनपान कराती है उसे रक्तस्राव कम होता है। बच्चेदानी जल्द सिकुड़ कर सामान्य अवस्था में आती है। गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ वजन जल्द कम होता है इसके साथ ही स्तन कैंसर, अग्नाशय का कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है। उनका कहना है स्तनपान कराते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए जैसे कि एक स्तन से जब तक बच्चा पूरी तरह से दूध न पीले तब तक उसे दूरे स्तन से न लगायें क्योंकि स्तन से पहले जो दूध आता है उसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है और बाद के दूध में वसा ज्यादा होता है, जिसके सेवन से बच्चे को तृप्ति मिलती है और उसका वजन भी बढ़ता है। इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना बहुत जरूरी है। मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं इसका सेवन बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। यह अत्यंत पोषक और रोग निवारक होता है। यह बच्चे के लिए पहला टीकाकारण होता है। यह बच्चे को अधिक ठंड से बचाता है और इसको पिलाने से मां को अधिक दूध आता है।
कामकाजी महिलाएं (Working Women) भी बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं।वह अपना दूध निकाकर घर पर रख दें और जो भी घर पर बच्चे की देखभाल कर रहा है वह उसे हाथ धोकर साफ़ कटोरी चम्मच से दूध पिला सकता है। दूध बोतल से नहीं पिलाना है। कमरे के तापमान पर चार घंटे तक दूध रखकर बच्चे को पिलाया जा सकता है। इससे ज्यादा समय के लिए वह फ्रिज में रख सकते हैं जिसका उपयोग 24 घंटे के अंदर करना चाहिए । मां के दूध को कभी भी गर्म नहीं करना चाहिए और न ही फ्रिज निकालकर तुरंत ठंडा दूध पिलाना चाहिए बल्कि सामान्य तापमान पर लाकर ही बच्चे को दूध पिलायें।