जन्म के तुरंत बाद 58 फीसदी शिशुओं को नही मिलता मां का दूध
आरएमएल के मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल में बेबी फीडिंग रूम का शुभारंभ

Lucknow: जन्म के तुरंत बाद 58 फीसदी शिशुओं को मां का दूध नही मिल पाता है। राष्ट्रीय परिवार स्वस्थ्य सर्वेक्षण – 5 (NFHS- 5) के आंकड़ों के अनुसार, देश में 64 फीसदी छह माह की उम्र तक के बच्चों को केवल स्तनपान (Beast Feeding) कराया जाता है और 42 फीसदी नवजातों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाता है। उत्तर प्रदेश के आंकड़े राष्ट्रीय औसत से कम हैं जिससे यह साफ़ है कि इस दिशा में सुधार की तत्काल ज़रूरत है।
यह बातें डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RMLIMS) के प्रो. सीएम सिंह (Dr. C.M. Singh) ने आरएमएल के मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल में बेबी फीडिंग रूम (Baby Feeding Room) उद्घाटन के दौरान कही। प्रो. सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान के जीवन रक्षक लाभों को बढ़ावा देने और व्यवहार परिवर्तन लाने का एक सशक्त अवसर है। उन्होंने कहा कि व्यवहार बदलने के लिए स्तनपान से जुड़े मिथकों और गलत धारणाओं को भी दूर करना होगा जिसके लिए स्पष्ट और बार-बार संवाद की ज़रूरत है। यह अस्पतालों के साथ-साथ अन्य हितधारकों की भी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
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डॉ सिंह ने कहा कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के मकसद से मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में तीन बेबी फीडिंग रूम का शुभारम्भ किया गया। इस सुविधा के शुरू होने से यहाँ आने वाली प्रत्येक माँ को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए एक निजी, सुरक्षित और आरामदायक स्थान उपलब्ध होगा और बच्चों को भी ज़रूरी पोषण मिलेगा।
उन्होंने कहा कि”स्तनपान कक्ष केवल एक जगह नहीं है, यह संदेश है कि एक स्वास्थ्य संस्थान के रूप में, हम माताओं और शिशुओं की ज़रूरतों का गहराई से ध्यान रखते हैं। प्रो. सिंह ने अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, बाल रोग विभाग और सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा इस दिशा में किये जा रह प्रयासों को सराहा।
अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू सिंह (Dr. Neetu Singh) ने कहा कि ओपीडी में बड़ी संख्या में धात्री महिलाएं आती हैं महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए निजी एवं सुरक्षित स्थान की जरूरत होती है। इसी उद्देश्य के साथ यहाँ तीन बेबी फीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं। अब महिलाओं को स्तनपान कराने में कोई झिझक महसूस नहीं होगी। सभी को यह जानना ज़रूरी है कि स्तनपान बच्चे और माँ दोनों के लिए महवपूर्ण और फायदेमंद है। बच्चे के लिए माँ का दूध सम्पूर्ण आहार होता है। यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जो बच्चे छह माह तक केवल स्तनपान करते हैं उन्हें भविष्य में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, दिल की बीमारी आदि होने की सम्भावना कम होती है। स्तनपान को बढ़ावा देने का उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्युदर में सुधार लाना है।
डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान इस वर्ष की थीम “स्तनपान में निवेश करें, भविष्य में निवेश करें” पर अस्पताल में कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इनमें रंगोली प्रतियोगिता और नुक्कड़-नाटक के ज़रिये लोगों को स्तनपान से जुड़े सन्देश दिए गए। साथ ही ओपीडी में आने वाली माताओं की स्तनपान पर काउंसलिंग की गई। इसमें अस्पताल के तीनों विभागों – प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, बाल रोग विभाग और सामुदायिक चिकित्सा विभाग, और नर्सिंग के छात्रों का सहयोग रहा।
सार्वजनिक स्थानों, सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों में स्तनपान कक्ष बनाए जाने इसके लिए सरकार की ओर से पूर्व में दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं। स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी इसके लिए आवाज उठाई है। लोगों का मानना है कि शिशु को स्तनपान कराने के लिए उचित स्थान होने के कारण दात्री महिलाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकार की ओर से पहल करते हुए अस्पतालों में स्तनपान कक्ष बनवाए जा रहे हैं।