स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च बिजली दर में जोड़ा जाएगा

स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ता से न लेने का किया था दावा
Lucknow: ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Energy) द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर (Smart prepaid meter) को लेकर कहा गया था कि जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे और उसका पैसा उपभोक्ता से नहीं लिया जाएगा। अब मंत्रालय ने नया फरमान जारी करते हुए सभी विद्युत नियामक आयोगों (Electricity Regulatory Commissions) को निर्देश दिया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर आने वाला खर्च उपभोक्ताओं के टैरिफ यानि बिजली दर में जोड़ा जाए।
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केन्द्र सरकार यूपी में बिजली दरों को बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के नए आदेश से इस योजना का खुलासा हो गया है। आने वाले समय में यूपी के साथ देशभर में बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी होगी। उपभोक्ताओं पर लगने वाला फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज दोनों ही भविष्य में काफी बढक़र आएंगे। इसका कारण कि मंत्रालय स्मार्ट मीटर का खर्च टैरिफ में समायोजित करवाना चाहता है। हालांकि कुछ माह पूर्व ही मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि मीटर बदलने पर उपभोक्ता से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। अब चोर दरवाजे से ऊर्जा मंत्रालय के आदेश के जरिए पूरा खर्च बिजली दरों में डालने की बात कही है।

इस मामले में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आपत्ति दर्ज कराई है। वर्मा ने इस मामले में केंद्रीय ऊर्जा सचिव और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक विरोध प्रस्ताव भेजते हुए इस आदेश को उपभोक्ताओं के साथ धोखा बताया है। आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद द्वारा भेजे गए विरोध प्रस्ताव की एक प्रति उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को भी प्रेषित की गई है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि देश के उपभोक्ता संगठनों को एक मंच पर लाकर आर-पार की लड़ाई लडऩे की तैयारी कर रही है। जनता के हितों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निजी घरानों को मिलेगा भारी लाभ
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इस फैसले से बड़े निजी घरानों और मीटर निर्माता कंपनियों को भारी लाभ होगा। यह निर्णय उद्योगपतियों के दबाव में लिया गया प्रतीत होता है। वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भारत सरकार द्वारा 18,885 करोड़ रुपये की स्वीकृति के विपरीत स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर 27,342 करोड़ रुपये में अवार्ड किया गया, यानि लगभग 8,500 करोड़ रुपये अधिक।
कनेक्शन के समय ले चुके मीटर की कीमत
वर्मा ने कहा कि प्रदेश के करीब 3 करोड़ 62 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के परिसरों पर लगे मीटरों की पूरी लागत कनेक्शन लेते समय ली जा चुकी है। यदि केवल 3 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं के सिंगल फेस मीटर की औसत कीमत 872 रुपये मानी जाए तो उपभोक्ताओं द्वारा पहले ही लगभग 2,616 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। थ्री फेस मीटर के लिए यह रकम करीब 3,000 करोड़ रुपये है। गारंटी अवधि के भीतर मीटर हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से प्रदेश की जनता के करीब 3,000 करोड़ रुपये पानी में चले गए। पहले कनेक्शन लेते समय मीटर का मूल्य लिया गया। बाद में बिजली दर बढ़ाकर पूरे स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च भी वसूल लिया जाएगा।




