दिवाली पर पटाखों के तेज शोर और धुएं से सतर्क रहें

दिवाली पर गर्भवती व सांस के रोगियों का रखें विशेष ध्यान

Lucknow: दिवाली पर पटाखा जलाते समय स्वास्थ्य की अनदेखी खतरनाक हो सकती है। दिवाली पर तेज आवाज वाले पटाखों के शोर से बचें। धुएं और प्रदूषण का असर सांस, दिल और आंखों के मरीजों पर गंभीर असर डालता है। विशेषज्ञों ने सलाह दी कि दिवाली को ‘सेफ और साइलेंट सेलिब्रेशन’ के रूप में मनाएं।

केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने कहा कि पटाखे हमेशा खुली और सुरक्षित जगह पर जलाएं, जूते पहनें और पानी की बाल्टी पास रखें। बच्चों को कभी अकेले पटाखे न जलाने दें और अधजले पटाखों को हाथ न लगाएं। झुलसने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और फफोले न फोड़ें। ढीले कपड़े न पहने। अगर कोई अंग जल जाए तो प्रभावित हिस्से को ठंडे पानी से धोएं।

लोहिया संस्थान के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार का कहना है कि पटाखों के धुएं से अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की तकलीफ बढ़ सकती है। उन्होंने सलाह दी कि दिवाली की रात जब प्रदूषण स्तर सबसे अधिक होता है, तब घर के अंदर रहें, खिड़कियां-दरवाजे बंद रखें। सांस के रोगी इनहेलर और दवाइयां हमेशा साथ रखें और डॉक्टर की सलाह से सेवन करें।

कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी ने दिल के मरीजों को तेज आवाज वाले पटाखों से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अचानक तेज धमाके से हार्ट रेट बढ़ सकता है और घबराहट या बेचैनी हो सकती है। उन्होंने अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न खाने, पर्याप्त पानी पीने और नींद का नियमित समय बनाए रखने की सलाह दी।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा ने चेताया कि पटाखों की चिंगारियां और धुआं आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आंखों में जलन या चोट लगने पर ठंडे पानी से धोएं, लेकिन आंखें न रगड़ें। जरूरत पडऩे पर तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव ने गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि पटाखों के धुएं में मौजूद रसायन श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गर्भपात या भ्रूण में विकृति का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि दिवाली सुरक्षा और संवेदनशीलता के साथ मनाएं।

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