भारत

कौन कर रहा है नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ बीईओ या शिक्षक?

शिक्षक और बीईओ के बीच झगड़े का कारण बना स्‍कूल में निर्माण कार्य, समझौते का दबाव 

रायबरेली। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ नौनिहालों को परिषदीय विद्यालय में बेहतर माहौल देने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी से लेकर शिक्षक तक उनके प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने से पहले ही भ्रष्टाचार के दीमक लगाकर खोखला कर रहे हैं।

अधिकारी और शिक्षक आखिर किस तरह से सिस्टम को खोखला कर रहा है, इसी बानगी डलमऊ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अचाकापुर में देखने को मिल रही है। बीईओ का आरोप है कि विद्यालय में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कार्य और शिक्षण कार्य को रूचिपूर्ण नहीं किया जा रहा है तो वही दूसरी तरफ शिक्षक ने निर्माण कार्य को लेकर 30 हजार रुपये मांगने के आरोप लगाए हैं।

जानकारी के अनुसार मामला सामने आते ही पूरा तंत्र घटिया निर्माण कराने वाले शिक्षक को बचाने में उतर गया है और बीएसए व बीईओर पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है।

बीईओ का कहना है कि हम नहीं चाहते हैं कि अतिरिक्त कक्ष बनने के लिए आए लाखों रुपये में गोलमाल हो जाए और घटिया निर्माण की वजह से भवन पांच साल में ही जर्जर हो जाए। निर्माण कार्य को लेकर व विद्यालय की व्यवस्था को लेकर मैंने नोटिस जारी है।

गौरतलब है कि, डलमऊ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अचाकापुर में निरीक्षण करने गए डलमऊ ब्लॉक के खण्ड शिक्षाधिकारी नंदलाल रजक के साथ में विद्यालय में कार्यरत इंचार्ज प्रधानाध्यापक अभिषेक मिश्रा ने अभद्रता और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए विद्यालय से भगा दिया था।

बीईओ की तरफ से दी गई आख्या में बताया गया है कि मैं विद्यालय में निरीक्षण करने गया था तब वहां पर बच्चों के नामांकन 41 के सापेक्ष महज सात बच्चे थे। इसके अलावा विद्यालय में साफ-सफाई भी नहीं थी।

बच्चों को बनाने वाले एमडीएम राशन पर चूहियां कूद रही थी। इसके अलावा पूरे विद्यालय की व्यवस्था बहुत ही घटिया थी। विद्यालय में बनने के लिए आए अतिरिक्त का निर्माण कार्य अधूरा था और उसके निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता भी ठीक नहीं हैं।

इन्हीं सब बातों को लेकर मुझसे शिक्षक आक्रोशित हो गए और उन्होंने मेरे साथ अभद्रता की और मोबाइल कैमरा भी छिन लिया। इस पूरी घटना की रिपोर्ट बीईओ ने बीएसए को भेज दी है।

बीएसए ने इस मामले में दो बीईओ अश्वनी गुप्ता और मुकेश कुमार की दो सदस्यीय कमेटी बना दी है। यह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी बीएसए को सौंप दी है। लेकिन अब तक मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

चर्चा है कि मामले में एक स्थानीय जनप्रतिनिधि शिक्षक को बचाने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जनप्रतिनिधि को बच्चों का भविष्य से कहीं ज्यादा शिक्षक या फिर अधिकारी प्यारा हो गया है। उन्हें उन गरीब बच्चों की कोई चिंता नहीं है, जिनके वोटों से वे चुनकर विधानसभा और संसद पहुंचते हैं।

बीईओ नन्दलाल रजक का कहना है कि इस मामले में मैंने अपनी रिपोर्ट अधिकारियों को भेज दी है। टीम ने भी जांच करके बीएसए को रिपोर्ट सौंप दी है। मेरे साथ जिस तरह की घटना हुई है, उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

आखिर शिक्षकों से क्‍यों बनवाये जा रहे भवन ?

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे बेहतर से बेहतर शिक्षा हासिल कर सके, इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को निपुण बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

प्राथमिक विद्यालय अचाकापुर की खास बात यह है कि प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं और वहां पर नियमित के तौर पर अभिषेक मिश्रा ही कार्यरत है।

विभाग की तरफ से पढ़ाने से कहीं अधिक जिम्मेदारी भवन को बनवाने की दी गई। विभाग को नौनिहाल का भविष्य ध्यान नहीं रहा और शिक्षक अभिषेक मिश्रा ने भी भवन बनाने में अधिक रूचि दिखाई। अब भवन निर्माण को लेकर ही सवाल उठ रहे हैं।

प्रधानाध्‍यापक अभिषेक मिश्रा ने आरोप लगाए है कि प्राथमिक विद्यालय अचाकापुर में पिछले वित्तीय वर्ष में अतिरिक्त कक्ष निर्माण के उन्‍होंने कराया था और इस निर्माण कार्य को लेकर बीईओर द्वारा 30 हजार रूपये मांगे गए थे।

सवाल उठता है कि बेसिक शिक्षा विभाग के डीसी निर्माण व आरईएस के इंजीनियर स्‍कूूल के घटिया निर्माण के समय क्‍या कर रहे हैं। एसी में बैठकर भवनों के निर्माण को पास किया जा रहा है।

बीएसए साहेब! आप समझौता कराइए: अधिकारी

सूत्रों के मुताबिक जिले के एक बड़े अधिकारी बार-बार बीएसए पर समझौते के लिए दबाव बना रहे हैं। पूरा तंत्र घटिया निर्माण कराने के आरोपी शिक्षक को बचाने में लगा है।

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