Health

केस स्टडी पर फोकस करें डाक्टर ताकि मरीजों को मिल सके सटीक इलाज: सीएम योगी

लोहिया संस्थान के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने बताया चिकित्सा का मूल आधार

Lucknow: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि चिकित्सा संस्थानों में मरीजों की काफी भीड़ है। रोजाना चार से पांच हजार मरीज आते हैं। डाक्टर उनके लक्षणों के आधार होने वाली बीमारी की केस स्टडी करें तो कई रोगों का सटीक इलाज खोजा जा सकता है।

वह डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RMLIMS) के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित रहे थे। सीएम ने कहा कि देश में केस स्टडी की काफी कमी है। उन्होंने डाक्टरों से अपील की कि वो केस स्टडी पर फोकस करें।

सीएम योगी ने कहा कि चिकित्सा सेवा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि यह सेवा और करुणा का माध्यम है। डॉक्टरों को चाहिए कि वे मरीजों के साथ संवेदनशीलता और सहानुभूति से पेश आएं। उन्होंने कहा कि हर मरीज को बेहतर सुविधा मिलनी चाहिए, खासतौर से गरीबों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे मरीजों के इलाज को केवल एक प्रक्रिया न समझें, बल्कि इसे मानव सेवा का एक पवित्र कार्य मानें।

सीएम योगी ने यह भी कहा कि अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर और अन्य बुनियादी सुविधाएं सहज रूप से उपलब्ध होनी चाहिए, और वार्ड बॉय से लेकर वरिष्ठ डॉक्टर तक हर स्तर पर मरीजों की सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने संस्थान में हाल ही में स्थापित गामा नाइफ (Gamma Knife) ) तकनीक की भी सराहना की।

उन्होंने इसे न्यूरो रोगियों के लिए एक बड़ी सौगात बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश को चिकित्सा नवाचार में अग्रणी राज्य बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने चिकित्सा संस्थानों और तकनीकी संस्थानों के बीच एमओयू कर नए उपकरणों और डिवाइसों के निर्माण पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और रोग-निवारण पर विशेष बल दिया जाना चाहिए ताकि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं नई ऊंचाइयों को छू सकें।

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सीएम योगी ने कहा कि मरीज के इलाज के साथ इस बार मानवीय पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए कि यदि किसी गरीब मरीज की मौत हो जाती है, तो उसके शव को अस्पताल के वाहन से उसके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। अगर संस्थान के पास वाहन नहीं है तो नया वाहन खरीदा जाए। उन्होंने निजी एंबुलेंस के जरिए मरीजों को महंगे निजी अस्पतालों में रेफर किए जाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की बात भी कही। पेशेवर रक्तदान करने वाले ऐसे लोग जो केवल लाभ के लिए ब्लड डोनेट करते हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की आवश्यकता बताई, क्योंकि इससे मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होता है।

उन्होंने बताया कि कैसे प्रदेश सरकार ने योजना, अनुसंधान और समर्पण के बल पर वर्षों से पूर्वांचल में कहर बन चुकी इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारी को काबू में किया और हजारों परिवारों की ज़िंदगियों में फिर से मुस्कान लौटाई। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी के युग में किसी भी प्रकार की लापरवाही पूरे तंत्र को बाधित कर सकती है। इसलिए हमें हर क्षेत्र में समय के साथ खुद को ढालना होगा।

मुख्यमंत्री ने सेवा पखवाड़ा के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में आयोजित होने वाले आरोग्य मेलों में संस्थान की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी जताई। उन्होंने यह भी कहा कि तमाम घुमंतू जातियां और वंचित वर्ग अब भी स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं हैं। ऐसे लोगों को चिन्हित कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और उन्हें चिकित्सा सुविधाओं से जोडऩा हमारी जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार की प्राथमिकता पर बल देते हुए कहा कि हमारा संकल्प है कि परिधीय अस्पतालों और नए मेडिकल कॉलेजों को सशक्त बनाया जाए ताकि गांव-गांव और कस्बों तक उच्चस्तरीय इलाज पहुँच सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोहिया संस्थान इस दिशा में भी एक मॉडल के रूप में उभरेगा।

संस्थान को मिलेगी दूरदर्शन की जमीन

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जानकारी दी कि संस्थान के विस्तार के लिए दूरदर्शन से ज़मीन प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है। ज़मीन मिलते ही संस्थान के इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं का विस्तार किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि रोगियों और उनके परिजनों का डॉक्टरों व संस्थान पर गहरा विश्वास है और यही विश्वास संस्थान की सबसे बड़ी ताकत है, जिसे सेवा और समर्पण के माध्यम से और मजबूत करना है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान को NIRF रैंकिंग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, जिससे यह देश के श्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों में शामिल हो सके।

प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने संस्थान द्वारा शुरू किए गए STEMI CARE कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल तीव्र हृदयाघात (हार्ट अटैक) के रोगियों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने में एक मॉडल के रूप में उभर रही है। उन्होंने इसे जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया।

संस्थान के निदेशक प्रो. सी एम सिंह ने संस्थान की उपलब्धियाँ गिनाते हुए बताया कि TEMI CARE-UP कार्यक्रम के अंतर्गत तीव्र हृदयाघात रोगियों को समय पर उपचार देने, नवीनतम डायग्नोस्टिक व चिकित्सीय उपकरणों की स्थापना, निवारक कार्डियोलॉजी अनुसंधान में प्रोटोकॉल विकसित करने और जनजागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिए जीवनशैली जनित रोगों की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में संस्थान के संकाय सदस्य, अधिकारी, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी मौजूद रहे।

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