चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस: ‘वोट चोरी’ के आरोपों का खंडन, राहुल गांधी को 7 दिन का अल्टीमेटम

NEW DELHI: चुनाव आयोग ने आज राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य चुनाव आयुक्तों ने बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया पर उठे विवादों और ‘वोट चोरी’ (Vote Chori) के आरोपों का जवाब दिया। यह कॉन्फ्रेंस विपक्षी नेताओं, विशेष रूप से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) द्वारा लगाए गए आरोपों के बीच हुई, जहां उन्होंने मतदाता सूची में अनियमितताओं का दावा किया था। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को ‘भारतीय चुनावी प्रक्रिया का अपमान’ करार दिया और कहा कि आयोग किसी भी राजनीतिक दल के प्रति पक्षपाती नहीं है।
चुनाव आयोग को अब तक 28370 आपत्तियां
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) ने कहा कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी है। उन्होंने बताया कि अब तक 28,370 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, और नागरिकों तथा राजनीतिक दलों को आगे भी जांच में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में संशोधन का उद्देश्य डुप्लिकेट या गलत एंट्री हटाना है, न कि किसी समुदाय या दल को नुकसान पहुंचाना। “हमारे पास सत्ताधारी पक्ष या विपक्ष जैसा कोई भेदभाव नहीं है। हम केवल संविधान के प्रति जवाबदेह हैं,” कुमार ने जोर देकर कहा।
राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, चुनाव आयोग ने उन्हें 7 दिनों के भीतर शपथ-पत्र दाखिल करने या सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की चेतावनी दी। कुमार ने कहा, “ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह किया जा रहा है। यह संविधान का अपमान है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीटीवी फुटेज या मशीन-रीडेबल मतदाता सूची साझा नहीं की जाएगी, क्योंकि इससे मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन होगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ होगा।
बिहार एसआईआर विवाद की पृष्ठभूमि में, विपक्ष ने दावा किया था कि मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे विशेष रूप से अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। राहुल गांधी ने आज सासाराम में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की, जहां उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को दिए आदेश में बिहार में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची को सर्चेबल फॉर्मेट में प्रकाशित करने का निर्देश दिया था, जिसका चुनाव आयोग ने विरोध किया था। आयोग ने कहा कि वह कोर्ट के आदेशों का पालन करेगा, लेकिन आज की कॉन्फ्रेंस में इस पर विस्तार से कोई जवाब नहीं दिया।
जल्दबाजी में कराई जा रही एसआईआर प्रक्रिया और डिलीट किए गए वोटरों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। पत्रकारों ने सवाल पूछे लेकिन उनका भी चुनाव आयोग ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
चुनाव आयोग के बाद विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “यह चुनाव आयोग की पहली सीधी प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, लेकिन इसमें राहुल गांधी के सवालों का कोई अर्थपूर्ण जवाब नहीं दिया गया। आयोग को सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त के आदेश को पूरी तरह लागू करना चाहिए।” उन्होंने आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि कॉन्फ्रेंस ‘नई ईसीआई’ की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है। सीपीआई(एम) सांसद वी. शिवदासन ने भी कहा कि आयोग ने विपक्ष के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और उसकी स्वतंत्रता पर संदेह है।
चुनाव आयोग ने अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में एसआईआर जैसी प्रक्रिया पर निर्णय अभी नहीं लिया होने की बात कही। कॉन्फ्रेंस में अनुराग ठाकुर द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई हलफनामा मांगने के सवाल पर भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक भाषण’ करार दिया, जबकि भाजपा समर्थकों ने आयोग के रुख का समर्थन किया।
यह कॉन्फ्रेंस बिहार विधानसभा चुनावों से पहले महत्वपूर्ण है, जहां एसआईआर प्रक्रिया पर विवाद जारी है। चुनाव आयोग ने कहा कि वह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की। हालांकि, विपक्ष ने मांग की कि आयोग वोटर लिस्ट की डिजिटल कॉपी उपलब्ध कराए और सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखे। राष्ट्र अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के पालन पर नजर रखेगा।