LUCKNOW: उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में पहली बार आम लकड़ी को FSC (Forest Stewardship Council) प्रमाणन से जोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया। लखनऊ के जशन रिसॉर्ट में आयोजित इस कार्यशाला में छोटे किसान, आम उत्पादक, व्यापारी, निर्माता और शीर्ष ब्रांड एक मंच पर जुटे। उद्देश्य था—आम लकड़ी की सप्लाई चेन को सतत, लाभकारी और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में FSC इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डॉ. सुरेश गैरोला और प्रभाकर बूड़ा, IFS (PCCF मॉनिटरिंग व वर्किंग प्लान्स, यूपी फॉरेस्ट विभाग) ने मुख्य संबोधन दिया। इसके बाद केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (CISH) के पूर्व निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने तकनीकी व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए आम लकड़ी के औद्योगिक व पर्यावरणीय महत्व पर प्रकाश डाला।
उद्योग जगत की ओर से ऑल टाइम प्लास्टिक्स के ऑपरेशन हेड राहुल वोहरा ने भारत में आम लकड़ी के बाजार की वर्तमान मांग और संभावनाओं को साझा किया। इसके बाद डॉ. अरुणा टी. कुमार की अध्यक्षता में पैनल चर्चा हुई। इसमें आदर्श मोहंन्दास (प्रेफर्ड बाय नेचर), मयंक सिंह (मेटा एग्रीटेक, मलिहाबाद), स्वप्ना बिस्वाल (कंट्रोल यूनियन), आकाश दीप बादवाण (DFO, बाराबंकी) और प्रेम शंकर विश्वकर्मा (हस्तशिल्प निर्माता, वाराणसी) शामिल रहे। पैनल ने आम लकड़ी को व्यावसायिक वस्तु के रूप में मुख्यधारा में लाने की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की।
इस अवसर पर डॉ. सुरेश गैरोला ने छोटे किसानों को FSC समूह प्रमाणन और रीजनल फॉरेस्ट स्टुअर्डशिप स्टैंडर्ड के जरिए सतत बाजारों तक पहुंचने के समाधान बताए। वहीं डॉ. नीलिमा राठी (इको स्टुअर्डशिप प्रा. लि.) ने प्रमाणन अनुपालन और ऑडिटिंग प्रक्रिया पर प्रशिक्षण सत्र संचालित किया। कार्यक्रम के अंत में FSC इंडिया के डिप्टी कंट्री डायरेक्टर अनुज शर्मा ने खुला सवाल-जवाब सत्र आयोजित किया और समापन भाषण दिया।
उत्तर प्रदेश, जो भारत का सबसे बड़ा आम उत्पादन क्षेत्र है, इस पहल से सीधा लाभान्वित होगा। खासतौर पर मलिहाबाद क्षेत्र में प्रमाणित और ट्रेस करने योग्य सप्लाई चेन स्थापित करने तथा सतत कटाई पद्धतियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से छोटे किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने और नैतिक व सतत स्रोतों से आम लकड़ी उत्पादों की मांग पूरी करने में मदद मिलेगी।