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हरदोई में स्मार्ट प्रीपेड मीटर चार गुना तेज चलता मिला

Hardoi : स्मार्ट प्री पेड मीटर की क्वालिटी को लेकर उत्तर प्रदेश में आरोप और दावों का दौर चल रहा है। हरदोई जिले उपभोक्ता अंकुश गुप्ता के घर स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाया गया। उन्हें स्मार्ट मीटर के तेज चलने का शक हुआ तो 450 रुपये जमा कर चेक मीटर लगावाया। कुछ दिन बाद रिपोर्ट आई तो चेक मीटर पर 85 यूनिट थीं जबकि स्मार्ट प्री-पेड मीटर 462 यूनिट दर्ज की गईं। स्मार्ट प्री पेड मीटर चार गुना से ज्यादा तेज चलता पाया गया। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अधिकारियों ने स्मार्ट प्री पेड मीटर को लेकर चुप्पी साध ली।

हरदोई में स्मार्ट प्रीपेड मीटर चार गुना तेज चलता मिला

स्मार्ट मीटर के तेज चलने की हरदोई में 9 उपभोक्ताओं ने शिकायत की। उपभोक्ता अंकुश गुप्ता के मीटर की रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया। चेक मीटर में रीडिंग तो लगभग 377 यूनिट ज्यादा आई ही। साथ में स्मार्ट मीटर में उपभोक्ता का भार 3.35 किलोवाट दर्ज हुआ, जबकि चेक मीटर में मात्र 860 वॉट भार दिखा। इस पर विभाग का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। इस खुलासे के बाद उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह मामला केवल एक उपभोक्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसे कई उपभोक्ताओं की आशंका सही साबित हो सकती है। उन्होंने विभाग से मांग की है कि सभी चेक मीटरों की गहन जांच कराई जाए। बलिया के उपभोक्ता कसनाथ प्रसाद वर्मा के यहां भी गंभीर मामला सामने आया है। उनका लोड केवल 2 किलोवाट दर्ज था, लेकिन जैसे ही उन्होंने वोल्टेज सुधारने के लिए स्टेबलाइजर लगाया, स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर लोड सीधे साढ़े आठ किलोवाट तक दर्ज हो गया।

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5 प्रतिशत चेक मीटर क्यों नहीं लग रहे?

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि आखिर कारण क्या हैं कि पावर कारपोरेशन 5 प्रतिशत चेक मीटर लगाकर स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता की जांच नहीं कराता। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन को यह भली प्रकार पता है कि स्मार्ट मीटर तकनीकी रूप से सही नहीं है। निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए घटिया मीटरों की खरीद की गई है। प्रदेश में अभी तक 39 लाख स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जबकि नियमानुसार इसके 5% यानी लगभग 2 लाख चेक मीटर भी स्थापित किए जाने चाहिए थे। उपभोक्ता परिषद के मुताबिक अब तक भारत सरकार को एक भी मिलान रिपोर्ट नहीं भेजी गई। केंद्र सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि हर माह स्मार्ट मीटर और चेक मीटर का मिलान कर रिपोर्ट भेजी जाए।

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एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने लिखा पत्र, नहीं भेज रहे रिपोर्ट

स्मार्ट मीटर की रिपोर्ट न भेजे जाने के मामले पर क्षेत्रीय रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) ने भी गंभीरता दिखाई है। प्रोग्राम मैनेजर एस.एस. गुप्ता ने भारत सरकार के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (आरडीएसए) और रेक्टिफिकेशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को पत्र भेजकर कहा है कि बार-बार मांगे जाने के बावजूद बिजली कंपनियों ने कोई मिलान रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। यह सब कुछ होने के बाद भी पावर कारपोरेशन के अधिकारी चुप्पी साधे हैं। वर्मा का कहना है कि जब तक सभी चेक मीटरों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक उपभोक्ताओं की शंकाएं दूर होना असंभव हैं।

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