बौद्ध धम्म ने इंसान को इंसान बनाना सिखाया: अनिल सिंधु

महिलाओं को पुरुषों के सामान दर्जा देने वाला धर्म हैं बौद्ध धम्म: आशा, धर्मचक्रप्रवर्तन के चार आर्य सत्य, आर्य अष्टांगिक मार्ग पर हुई गहन चर्चा
RAEBARELI: भगवान बुद्ध को के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करने वाले धम्मा फाउंडेशन इंडिया की तरफ से रविवार को धम्मचक्क पवत्तन दिवस के उपलक्ष्य पर धम्म विचया पर चर्चा का आयोजन शहर के एक होटल में किया गया।
धम्म विचया में बौद्ध धम्म में महिलाओं की सामाजिक स्थिति एवं बौद्ध धम्म के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के दौरान ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से लोगों को विधिक रूप से जागरूक किया गया। संस्था के सचिव व अपर जिला जज अनुपम शौर्य ने लोगों को फ्री में दी जा रही कानूनी सहायता के बारे में बताया।
धम्मा फाउंडेशन इंडिया के संस्थापक डॉ. अखिल सिंधु ने बौद्ध धर्म के सम्यक, शील, अष्टांगिक मार्ग पर चर्चा की। इसके साथ ही धर्मचक्रप्रवर्तन के चार आर्य सत्य, आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बौद्ध धम्म ने इंसान को इंसान बनाना सिखाया है। बौद्ध धर्म ने हमेशा यह माना है कि यह हमारे जीवन की गहराई में सभी लोगों की शुद्ध और शाश्वत इच्छा है। यह विचार मूल रूप से और समान रूप से बुद्ध और आम लोगों के जीवन में निहित है।

एक व्यक्ति जो इस भावना के प्रति जागृत हो जाता है और जो इसके अनुरूप जीवन जीता है, वह बुद्ध है। भगवान बौद्ध के उपदेशों के बारे में कहा कि शांति अंदर से आती है। इसे बाहर से खोजने की कोशिश मत करो। अतः मन, शरीर और चित्त के धर्मों को समझना। बुद्धि है-ठीक दृष्टि, ठीक अंडरस्टैंडिंग, ठीक विचार चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने धम्म चर्चा, बुद्ध धम्म पर जिस पर अभिधम्मा पर व्याख्या और गहन चर्चा की।
उपासिका आशा ने सम्मा दृष्टि, सम्मा संकल्प, सम्मा वचन, सम्मा कर्म और सम्मा जीविका के साथ ही महिलाओं का बुद्धिजम के बारे में चर्चा की। उन्होंने ने कहा कि “बुद्ध” शब्द का अर्थ है “जागृत” या “जो जाग गया हो”। भगवान बुद्ध को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया और वे सत्य के प्रति जागरूक हो गए थे। बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करके उन्होंने सच्चाई का अनुभव किया, और तब से वे “बुद्ध” के रूप में प्रसिद्ध हो गए। यह नाम उनके जागरण, ज्ञान और समझ को व्यक्त करता है, जो उन्होंने संसार के दुःख और उसके निवारण के उपायों को समझकर अपने अनुयायियों को सिखाया।
शिक्षक रोहित चौधरी ने कहा कि भगवान बौद्ध ने किसी भी चमत्कार की बात नहीं लिखी है। उन्होंने तथ्यात्मक रूप की बात लिखी है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में पाखंड और चमत्कार पर बिल्कुल भी चर्चा नहीं की गई है। इसमें समता, समानता और मानव को मानव का दर्जा दिया गया। दुनिया का इकलौता ऐसा धम्म है जिसमें महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया गया है।
इस मौके पर चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें सीनियर वर्ग में प्रियांशी प्रथम, आयुषी दूसरे और आद्रिका मौर्य तीसरे स्थान पर रही। जूनियर वर्ग में आदित्य सिंह पहले, जैती यादव दूसरे और अग्रिमा सिंह तीसरे स्थान पर रही।
बौद्ध धम्म पर धम्म प्रीता बौद्ध, आरपी मौर्य, सरिता नागेंद्र, अंशिका प्रियदर्शी, मोहनलाल आदि ने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर डिप्टी चीफ एलएडीसी जय सिंह यादव, प्राविधिक स्वयंसेवक बृजपाल, अशोक प्रियदर्शी, अनिल कांत, श्रीकांत, अनिता, कमल, दिलीप चौधरी, रामगोपाल, बीड़ी कुशवाहा, रवि मौर्या, दीपक स्वामी दयाल, शिव दयाल, दिलीप, सुधीर सहित सैकड़ों धम्म उपासक मौजूद रहे।