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अंडाशय (Ovary) कैंसर को ना करें नजरअंदाज, इन लक्षणों को पहचान डॉक्‍टर को दिखाएं

पेट में लगातार गैस बनना, सूजन, भूख कम होना, बार-बार पेशाब आना और वजन घटना, ये लक्षण मामूली न समझें। डॉक्टरों का कहना है कि यह ओवरी (अंडाशय) की गंभीर बीमारी ओवरी या अंडाशय के कैंसर (ovarian cancer) का संकेत हो सकते हैं और लापरवाही कैंसर जैसी जानलेवा स्थिति में बदल सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि इलाज में देरी मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है। अंडाशय का कैंसर

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने यह जानकारी दी। वह शनिवार को शताब्दी भवन के तीसरे तल पर आयोजित जागरुकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने कहा कि बीमारी गंभीर होने की दशा में मरीज के पेट में पानी भरने लगता है। यूपी में करीब 10 हजार महिलाएं ओवरी के कैंसर (ovarian cancer) से मुकाबला कर रही हैं। 75 से 80 में एक महिला को ओवरी के कैंसर की आशंका रहती है।

कैंसर पीडि़त महिलाओं में के इलाज में सीधे तीसरे या चौथी स्‍टेज में कैंसर

सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. नसीम अख्तर ने कहा कि ने कहाकि शर्म और झिझक की वजह से महिलाएं बीमारी छिपाती हैं। यही वजह है कि महज पांच से 20 से 30 प्रतिशत महिलाएं पहली व दूसरी स्टेज में अस्पताल आ रही हैं। करीब 70 फीसदी महिलाएं तीसरे या चौथे स्टेज में अस्पताल आ रही हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर को इलाज व हौसले से हराया जा सकता है।

छह से आठ माह के इलाज के बाद काफी मरीज सामान्य जीवन जीने लगते हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह पर पूरे इलाज की जरूरत है। बीच में इलाज छोड़ना घातक है। इलाज पूरा होने के बाद शुरूआत में तीन-तीन माह डॉक्टर की सलाह लें। उसके बाद हर छह माह में फालोअप जरूरी है। इस दौरान डॉक्टर की सलाह पर जरुरी जांच कराएं।

महंगा लेकिन मरीजों को नि:शुल्‍क इलाज

डॉ. नसीम ने कहा कि कैंसर का इलाज महंगा जरूर है। लेकिन इलाज के सस्ते विकल्प भी हैं। लिहाजा इलाज कराएं। सरकार भी मरीजों के इलाज में आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। आयुष्मान, विपन्न, असाध्य, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष योजनाओं का संचालन हो रहा है। लिहाजा पैसे के अभाव में इलाज बंद करना विकल्प नहीं है।

डॉ. समीर गुप्ता ने कहा कि कैंसर छूने या साथ में खाना खाने से नहीं फैलता है। कैंसर मरीजों से सामान्य लोगों जैसा ही बरताव करें। इस मौके पर मरीजों ने इलाज के अनुभव साझा किए। डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान मरीजों को ग्रीन कार्ड बांटे गए। इस कार्ड की मदद से मरीज ओपीडी में आसानी से डॉक्टर की सलाह पा सकेंगे।

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