Lucknow: फाइलेरिया (Filaria ) की दवा खाने में प्रदेश के कुशीनगर व कानपुर नगर के लोग आगे रहे। 27 जिलों में चले सर्वजन दवा सेवन (MDA) अभियान में 88 प्रतिशत से अधिक लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया है। कुशीनगर व कानपुर नगर में सर्वाधिक लोगों ने दवा सेवन किया है। सिर्फ फतेहपुर व इटावा दो ऐसे जिले हैं जहां कवरेज 85 प्रतिशत से कम रहा है।
फाइलेरिया उन्मूलन के वर्ष 2027 के लक्ष्य को देखते हुए इस बार का एमडीए अभियान काफी महत्वपूर्ण था। स्वास्थ्य विभाग के सामने साढ़े चार करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य था। इसके लिए विभाग ने हरसंभव प्रयास किए। ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (TAS), इसके बाद नाइट ब्लड सर्वे (NBS) के आधार पर 27 जिलों के 195 ब्लाक में एमडीए अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।
अभियान को प्रभावी बनाने के लिए इस बार माइक्रो-प्लानिंग, अंतरविभागीय समन्वय और मेडिकल कॉलेजों की भागीदारी बढ़ाई गई। कम्युनिटी रेडियो के प्रतिभाग से लेकर मीडिया संवेदीकरण तक किया गया। सीएचओ-पीएसपी सदस्यों ने भी रात्रि चौपाल, नुक्कड़ नाटक व एमडीए यात्रा निकालकर लोगों को दवा खाने के प्रति जागरूक किया। पूरे अभियान के दौरान लगातार ब्लाकवार समीक्षा की जाती रही। इसी का नतीजा रहा कि विभाग तकरीबन चार करोड़ लोगों को दवा खिलाने में सफल रहा।
राज्य फाइलेरिया इकाई द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कानपुर देहात, सीतापुर, चंदौली, औरेया, श्रावस्ती, सुलतानपुर व फर्रुखाबाद में 89 प्रतिशत से अधिक लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा खाई। इसके अलावा रायबरेली, कौशांबी, बलरामपुर, महराजगंज, देवरिया, गोण्डा, बस्ती व गाजीपुर ने 88 प्रतिशत और संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, हरदोई, खीरी, गोरखपुर, बहराइच, कन्नौज व मिर्जापुर ने 85 से 87 प्रतिशत के बीच लोगों को कवर किया है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने रेफ्यूजल केसों पर अभियान से पहले ध्यान केंद्रित किया। ई-कवच के माध्यम से सभी जिलों को ब्लॉकवार पिछले एमडीए के रेफ्यूजल केसों की सूची उपलब्ध कराई गई और अभियान से पहले उन लोगों से संपर्क करने के निर्देश दिए गए।
इसी का परिणाम रहा कि पहली बार तकरीबन 86 प्रतिशत रेफ्यूजल केसों को दवा खिलाने में सफलता हासिल हुई। देवरिया ने सभी रेफ्यूजल केसों को सफलतापूर्वक कवर करते हुए शत-प्रतिशत दवा सेवन किया। इसके अलावा श्रावस्ती, फर्रुखाबाद, रायबरेली, गोण्डा, गाजीपुर, हरदोई, गोरखपुर व मिर्जापुर ने भी 90 प्रतिशत से अधिक रेफ्यूजल केसों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने में कामयाबी मिली।