टीईटी परीक्षा के खिलाफ शिक्षक लामबंद, 11 सितंबर को करेंगे विशाल प्रदर्शन
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने बैठक करके बनाई रणनीति, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ 11 सितंबर को डीएम के माध्यम से भेजेगा पीएम और शिक्षामंत्री को ज्ञापन

RAEBARELI: सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यरत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य करने के आदेश के खिलाफ रायबरेली में शिक्षकों का विरोध तेज हो गया है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने इस फैसले के विरोध में 11 सितंबर को विशाल प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपकर कानून में संशोधन की मांग की जाएगी।
टीईटी के खिलाफ जताया कड़ा विरोध
अब शिक्षकों की तरफ से 11 सितंबर को विशाल प्रदर्शन करके डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री और शिक्षामंत्री को ज्ञापन भेजकर कानून में संशोधन की मांग की जाएगी। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की तरफ से 11 जून को किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बैठक चक अहमदपुर में आयोजित की गई। चक अहमदपुर में आयोजित बैठक में शिक्षकों ने टीईटी परीक्षा के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए सरकार से कानून में संशोधन की मांग की है।
जिलाध्यक्ष राघवेंद्र यादव ने कहा कि क्या किसी नौकरी की तैयारी करने वाला कोई अभ्यर्थी नौकरी पाने के दस, बीस, तीस बरस बाद उस परीक्षा को उतने ही सफलतापूर्ण ढंग से पास कर पाता है जितना कि नौकरी पाने के लिए? अदालत के इस फैसले ने कुछ शिक्षकों को झटका दे दिया है।
यह भी पढ़ें: बचपन पर बोझ: क्या हम अपने बच्चों से उनका हक नहीं छीन रहे?
इनमें अधिकतर पचास से पचपन वर्ष की आयु वाले वे शिक्षक हैं जो तमाम शारीरिक व्याधियों के बाद भी अपने काम को पूरी लगन और निष्ठा के साथ करने के लिए संघर्षरत हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले के मुताबिक आठवीं तक की कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को टीईटी- यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करनी होगी। अगर वे ये परीक्षा नहीं देते तो उन्हें अवकाश ग्रहण करना होगा। अगर वे फेल हो गए तो शायद उनकी नौकरी ही चली जाए।
शिक्षकों की मांग: शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन
जिला संरक्षक समर बहादुर सिंह ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में सेवा के कई दशक बीतने के बाद अब शिक्षकों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा पास करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इस आदेश के बाद हम शिक्षकों की तरफ से प्रधानमंत्री और शिक्षामंत्री को पत्र भेजकर नियमों में संशोधन की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि नौकरी में आने के बाद टीईटी की अनिवार्यता को थोपना उचित नहीं है। उन्होंने इसकी तुलना खेल से करते हुए कहा कि जैसे खेल शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते, वैसे ही यह निर्णय भी उचित नहीं है।
सांसदों के जरिए दबाव, दिल्ली में धरना संभव
जिला महामंत्री सियाराम सोनकर ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं एनसीटीई अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट प्रदान करने हेतु अधिनियम में संशोधन हेतु एक मांग पत्र देश के प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन 11 सितंबर को के जिलाधिकारी के माध्यम से दिया जाएगा।
शिक्षकों का गुस्सा: सोशल मीडिया पर अभियान तेज
जिला कोषाध्यक्ष शिवशरण सिंह ने कहा पीएम को ज्ञापन देने के बाद 13 से 26 सितंबर तक लोकसभा सांसदों एवं राज्य सभा सांसदों के माध्यम से भारत सरकार को संशोधन करने का मांग पत्र दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है और संशोधन हेतु कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो देश तथा प्रदेश का लाखों बेसिक शिक्षक दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
इस अवसर पर हरिकेश यादव, साधना शर्मा, सुनीता सिंह , राकेश पटेल, सुरेन्द्र वर्मा, सुनील यादव, शिवकुमार सिंह,लालबहादुर यादव, मेराज अहमद, रविप्रकाश श्रीवास्तव, चन्द्र प्रकाश, धर्मेंद्र वर्मा, सुनील मिश्र, शिवेंद्र सिंह, शिवप्रताप मौर्य आदि शिक्षक पदाधिकारी उपस्थित रहे।