Health

SGPGI : बाल झड़ना व खून की कमी ल्यूपस के लक्षण

विश्व ल्यूपस दिवस (World Lupus Day) किया गया जागरूक

Lucknow: अक्सर लोग बुखार व जोड़ों में दर्द को कई अन्य बीमारी समझ कर इलाज कराते रहते हैं और बाद में बीमारी बढ़ जाती है तो पता चलता है कि यह खतरनाक रोग ल्यूपस है। विशेषज्ञों का कहना है कि दो सप्ताह तक बुखार न उतरे और जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ थकान और बाल भी झड़ रहे हो साथ ही शरीर में खून की कमी भी हो रही हो, इसे नजरअंदाज बिल्कुल न करें। यह ल्यूपस रोग  (Lupus disease) के लक्षण हो सकते हैं।

विश्व ल्यूपस दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में दौरान संजय गांधी पीजीआई (SGPGI) के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. अमिता अग्रवाल (Dr Amita Agarwal) ने बताया कि यह एक आटोइम्यून डिजीज है। इसका समय पर इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है। जल्द उपचार करने से बीमारी को नियंत्रित कर मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार ला सकते हैं। उन्होंने बताया कि ल्यूपस रोग अभी लाइजाल ही है।

इसका अभी तक कोई पूर्ण इलाज उपलब्ध नहीं है। रोग के लक्षण दिखाई देने पर मरीज को एंटी-इंफ्लेमेंट्री दवाएं, इम्यूनोसप्रेसेंट्स, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन व बायोलॉजिक्स दवाएं देकर बीमारी को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है। नियमित उपचार और सावधानी बरतने से रोगी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।

इस अवसर पर SGPGI के प्रोफेसर रुद्रा ने बताया कि ल्यूपस एक गंभीर ऑटोइम्यून  डिजीज (autoimmune disease) है। इस रोग के होने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है। इस रोग का प्रमुख रूप से त्वचा, जोड़ों, गुर्दे, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। इस मौके पर ओपन हाउस सत्र में आयोजित किया गया जिसमें रोगियों ने विशेषज्ञों से अपने सवाल पूछे और अपनी शंकाओं को दूर किया।

कार्यक्रम में मरीजों और तीमारदारों के लिये प्रश्नोत्तरी, संवाद सत्र और फैशन वॉक का भी आयोजन किया गया। फैशन वॉक में ल्यूपस वॉरियर्स ने रैम्प पर चलकर यह संदेश दिया कि आत्म विश्वास से काम किया जाए तो बीमारी होने पर भी सामान्य जीवन जी सकते हैं।

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