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TET Exam प्रदेश के चार लाख शिक्षकों की लड़ाई आखिर दम तक लड़ेगा आरएसएम: प्रदेश अध्यक्ष

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने टीईटी (TET) की अनिवार्यता के खिलाफ पीएम को भेजा ज्ञापन, हजारों शिक्षकों ने राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले उठाई कानून में संशोधन की मांग

RAEBARELI: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों को टीईटी (TET) की परीक्षा पास करने का अनिवार्य आदेश दिए जाने के बाद इसका अनवरत विरोध जारी है। सोमवार को शहर की सड़कों पर उतरकर शिक्षकों ने प्रदर्शन किया और शिक्षकों ने टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ आवाज उठाई है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले विकास भवन में एकत्रित हुए हजारों शिक्षकों ने इसके खिलाफ बिगुल फूंकते हुए प्रधानमंत्री से कानून में संशोधन करने की मांग की। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वाहन पर सोमवार को पूरे देश में एक साथ सभी जिलों में आरएसएम की तरफ से जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया।

शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद से लागू हो TET

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश प्राथमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष शिव शंकर सिंह ने कहा कि शिक्षा का अधिकार लागू होने से पहले में करीब चार लाख शिक्षक कार्यरत थे। अब सभी 29 जुलाई 2011 से उत्तर प्रदेश में नई नियुक्तियों के लिए टीईटी (TET) अनिवार्य किए जाने के बाद उसकी जद में आ गए है। शिक्षकों की जब उस समय भर्ती जिस आर्हता पर की गई थी, उसको सभी पूरा कर रहे थे। अब बाद में यह नियम लागू करना शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ है।

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यह आर्हता उस समय होती तो शायद हमारा हर शिक्षक टीईटी (TET) पास करके आता है। उन्होंने कहा कि संघ ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले नियुक्ति हुए शिक्षकों की टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाए। हमारे संगठन के वरिष्ठ पदाधाकारियों ने इस संबंध में उच्च स्तर के अधिकारियों व मंत्री जी से बात भी की है। हमारी तरफ से यह मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 को दिया गया निर्णय शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद से माना जाए।

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जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि नियुक्ति के समय सभी शिक्षकों ने आवश्यक योग्यताएं पूरी की थीं। टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के साथ लागू हुई थी। लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसे दबा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित होने वालों में अधिकतर पचास से पचपन वर्ष की आयु वाले वे शिक्षक हैं जो तमाम शारीरिक व्याधियों के बाद भी अपने काम को पूरी लगन और निष्ठा के साथ करने के लिए संघर्षरत हैं।

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अब उन्हें पढ़ाई करते हुए तैयारी करना संभव नहीं है। अब इस उम्र में नौकरी में आने के बाद टीईटी की अनिवार्यता को थोपना उचित नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शिक्षकों को टीईटी- यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करनी होगी। अगर वे ये परीक्षा नहीं देते तो उन्हें अवकाश ग्रहण करना होगा। अगर वे फेल हो गए तो शायद उनकी नौकरी ही चली जाए।

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सभी जिलो में सौंपा गया ज्ञापन

प्रदेश मंत्री डॉ. श्वेता और जिला संगठन मंत्री मधुकर सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के निर्णय क्रम में पूरे देश में आज एक साथ सभी जिलों से प्रधानमंत्री को ज्ञापन टी. ई. टी. समस्या समाधान के संबंध में जिलाधिकारी के माध्यम भेजा गया है। अगर इसके बाद भी कानून में संशोधन की प्रक्रिया नहीं बढ़ती है तो राष्ट्रीय स्तर पर आरएसएम की तरफ से बड़ा कार्यक्रम करके शिक्षकों की हित में बात की जाएगी।

जिला महामंत्री संजय कनौजिया ने कहा कि हमारे संगठन की मांग है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट प्रदान करने हेतु अधिनियम में संशोधन हेतु एक मांग कर रहे हैं। हम लोग प्रधानमंत्री पत्र देश के प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन भेजा गया है।

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इस मौके पर अटेवा के संयोजक इरफान अहमद, यूटेक के संयोजक अखिलेश सिंह, वीरेन्द्र सिंह, राजेश शुक्ल, संजय कुमार सिंह, विजयपाल सिंह, जय करन, बीरेन्द्र बहादुर चौधरी, राजेश मौर्या, हरिमोहन यादव, शशी देवी , प्रतिमा सिंह, सुनीता वर्मा, अमित चौहान, अनूप सिंह , शास्वत बाजपेयी, मोहित पटेल, अनुराग राठौर, . आशुतोष शुक्ल ,बृजेंद्र सिंह , रणविजय सिंह गंगापारी, अनूप सिंह,चन्द्र प्रकाश वर्मा, अनुराग मिश्रा , आनन्द प्रताप सिंह, मनोज चौधरी, सुशील कुमार शुक्ला ,ज्ञान बहादुर सिंह , हरि शरण मौर्य , भानु प्रताप सिंह, दिनेश प्रताप सिंह , अखिलेश चौरसिया, संजय सिंह , संजय कुमार सिंह, संजय सिंह, रमेश कुमार सिंह, अवनीश सिंह , अखिलेन्द्र सिंह, विजय वर्मा, दिनेश सिंह, यादवेन्द्र प्रताप सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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