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गोंडा में दो वर्षों में बदलाव की इबारत: जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गढ़ी नवाचार और सुशासन की मिसाल

संवाद, स्वच्छता, समाधान और समर्पण की कहानी

Gonda: जनपद गोंडा की सुबह अब पहले जैसी नहीं रही। मोहल्लों में रंग-बिरंगी दीवारें, चौपालों में समाधान की बातें और वनटांगिया गांवों में दीपों की रोशनी—ये सब जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में आए बदलाव की गवाही देते हैं। 12 जून 2023 को उन्होंने गोंडा की कमान संभाली। गुरुवार को दो साल पूरे हो रहे हैं। कमान संभालते ही उनकी प्राथमिकता साफ थी—जनसंवाद, समाधान, स्वच्छता और नवाचार।

अगस्त 2023 में शुरू हुआ विशेष स्वच्छता अभियान सिर्फ अभियान नहीं, बल्कि जनांदोलन बन गया। उन्होंने सफाई को सम्मान से जोड़ा, जिससे जनभागीदारी अपने आप जुड़ती चली गई। ग्राम चौपाल, जनता दर्शन और समाधान दिवस जैसे प्रयासों ने प्रशासन को आमजन के करीब लाया। शिकायतों के त्वरित निस्तारण ने लोगों का भरोसा फिर से जगाया।

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नेहा शर्मा के नवाचारों ने गोंडा को एक प्रयोगशाला में बदल दिया। मिशन शक्ति कैफे, शक्ति सारथी, अरगा ब्रांड और वनटांगिया दीपोत्सव जैसे प्रयोगों ने विकास को मानवीय स्पर्श दिया। विशेष रूप से ‘प्रोजेक्ट वनटांगिया’ के ज़रिए उपेक्षित समुदाय को मुख्यधारा में लाना एक ऐतिहासिक कदम रहा।

प्रशासनिक प्रणाली में उन्होंने दंड की बजाय सुधार को प्राथमिकता दी। वर्षों से लंबित प्रमोशन को पूरा कर कर्मचारियों में नई ऊर्जा भरी। महिला सशक्तिकरण और युवाओं की भागीदारी उनके नेतृत्व की पहचान बनी।
नेहा शर्मा का नेतृत्व दिखाता है कि जब संवेदना, संकल्प और सिस्टम एक साथ चलते हैं, तो बदलाव सिर्फ संभव ही नहीं, स्थायी भी होता है। गोंडा आज इसका उदाहरण है।

जनसंवाद की नई संस्कृति

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गोंडा में प्रशासन और जनता के बीच संवाद को सिर्फ औपचारिकता न मानकर एक प्रभावी व्यवस्था में बदल दिया है। जनता दर्शन, समाधान दिवस, मीडिया और सोशल मीडिया—हर माध्यम को उन्होंने आमजन से जुड़ाव का जरिया बनाया। मोबाइल और व्हाट्सएप पर आने वाली शिकायतों पर भी वे तत्काल संज्ञान लेकर त्वरित समाधान सुनिश्चित करती हैं।

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जनता दर्शन का प्रभावशाली रूपांतरण

जून 2023 में उन्होंने ‘वृहद ग्राम चौपाल’ की शुरुआत की, जिसके तहत 100 दूरस्थ गांवों में खुद जाकर चौपालें लगाईं और स्थानीय समस्याएं सुनीं। यह सिलसिला ग्राम चौपाल 2.0 और वर्तमान में 3.0 तक पहुंच चुका है, जिसमें ऐसे 40 गांवों को चिह्नित किया गया है जहां से IGRS पोर्टल पर सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इन गांवों में जाकर सीधे संवाद कर समाधान की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

शहरी संवाद की नई शुरुआत

यह संवाद गांवों तक ही सीमित नहीं रहा। 2023 में ‘नगर चौपाल’ और 2024 में ‘नागरिक संगम’ कार्यक्रमों के ज़रिए शहरी क्षेत्रों में भी जिलाधिकारी ने वार्ड-वार्ड जाकर नागरिकों की समस्याएं सुनीं और मौके पर ही समाधान सुनिश्चित किया। पहली बार जनपद की कोई मुखिया स्वयं नगर भ्रमण कर रही थी।

संवेदना, संकल्प और सिस्टम का संगम

जनता दर्शन कार्यक्रम को भी उन्होंने प्रभावशाली बनाया। प्रत्येक शिकायत पर उसी समय संबंधित एसडीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया, ताकि त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित हो सके। इससे अब शिकायतकर्ता को अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते, बल्कि समाधान उनके सामने होता है।

इस संवाद प्रणाली ने जनपद गोंडा में भरोसे की एक नई बुनियाद रखी है—जहां प्रशासन सुनता ही नहीं, साथ चलता है।

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