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टीईटी (TET) के खिलाफ आरएसएम के बैनर तले शिक्षक देंगे ज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीएम से एनसीटीई (NCTE) के कानून में संशोधन की मांग, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देशभर के 40 लाख और प्रदेश के चार लाख परिवारों पर पड़ेगा प्रभाव

LUCKNOW: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) की अनिवार्यता लागू किए जाने के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एक साथ पूरे देश में सोमवार को ज्ञापन देगा। ज्ञापन में अधिक से अधिक शिक्षकों को बुलाने के सोशल मीडिया के माध्यम से अनवरत संदेश भेजे जा रहे हैं। शिक्षकों को अपने अधिकार की लड़ाई में आने के लिए अनवरत कहा जा रहा है। शिक्षकों की तरफ से केंद्र सरकार ने इस कानून में संशोधन करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भेजा जाएगा।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि 29 जुलाई 2011 से उत्तर प्रदेश में नई नियुक्तियों के लिए टीईटी अनिवार्य किया गया है। संघ ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले नियुक्ति हुए शिक्षकों की टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाए। शिक्षकों ने यह मांग सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 के निर्णय के संदर्भ में की गई है। आज का यह संघर्ष हमारा नहीं है बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करने वाला संघर्ष है।

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जिला संगठन मंत्री मधुकर सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के निर्णय क्रम में पूरे देश में एक साथ 15 सितंबर को टी. ई. टी. समस्या समाधान के संबंध में प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम ज्ञापन भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि विद्यालय के बाद शिक्षक विकासभवन परिसर में एकत्रित होंगे। ज्ञापन कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर अपनी एकता को प्रदर्शित करते हुए कलेक्ट्रेट में जाकर जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजेंगे।

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जिला महामंत्री संजय कनौजिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित होने वालों में अधिकतर पचास से पचपन वर्ष की आयु वाले वे शिक्षक हैं जो तमाम शारीरिक व्याधियों के बाद भी अपने काम को पूरी लगन और निष्ठा के साथ करने के लिए संघर्षरत हैं। अब उन्हें पढ़ाई करते हुए तैयारी करना संभव नहीं है। अब इस उम्र में नौकरी में आने के बाद टीईटी की अनिवार्यता को थोपना उचित नहीं है।

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अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शिक्षकों को टीईटी- यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करनी होगी। अगर वे ये परीक्षा नहीं देते तो उन्हें अवकाश ग्रहण करना होगा। अगर वे फेल हो गए तो शायद उनकी नौकरी ही चली जाए। हमारे संगठन की मांग है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट प्रदान करने हेतु अधिनियम में संशोधन हेतु एक मांग कर रहे हैं। हम लोग प्रधानमंत्री पत्र देश के प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन देंगे।

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