UP

इस साल भी पूरा नहीं हो पाएगा बिजली दरों में बढ़ोतरी का सपना

उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के आंकड़े को बताया हवा हवाई

आसान नहीं है बिजली दरों में बढ़ोतरी

Lucknow: उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी इस साल भी नहीं हो सकेगी। निजी घरानों के दबाव में बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग में घरेलू दरों में 45′ तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था मगर इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिलेगी। बिजली कंपनियों ने आयोग के सामने घाटे के जो आंकड़े पेश किए थे सह हवा-हवाई साबित होंगे। इस बार भी उपभोक्ताओं का पैसा सरप्लस निकलेगा और उसके आधार पर टैरिफ बढ़ा पाना संभव नहीं है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने दावा किया है कि मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के प्रावधानों के तहत सभी आंकड़ों का मिलान करने के बाद सामने आया है कि बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित कैश गैप सच्चाई के करीब नहीं है। परिषद के अनुसार कंपनियों ने वर्ष 2025-26 के लिए 19,644 करोड़ और वर्ष 2023-24 के लिए 4,378 करोड़ रुपये का घाटा दिखाकर कुल 24,022 करोड़ का कैश गैप बताया था। इसी आधार पर कंपनियों ने बिजली दरों में औसतन 28′ और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लगभग 45′ तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था। वर्मा ने कहा कि अध्ययन से यह साफ हो गया है कि कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले से ही लगभग 33,122 करोड़ धनराशि सरप्लस है। ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में भी सरप्लस निकलना तय है और बिजली दरों में बढ़ोतरी की संभावना नहीं बनती है।

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कंपनियां नहीं दे रही सही जवाब

उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि जन सुनवाई के दौरान लोगों ने टैरिफ प्रस्ताव पर कई आपत्तियां व सवाल उठाए। इन सवालों के जवाब पावर कारपोरेशन और बिजली कम्पनियों को देना थे। करीब 90′ सवालों के कोई ठोस जवाब बिजली कंपनियां नहीं दे पाईं। हर आपत्ति का गोलमोल जवाब दिया गया है। इस स्वीकार नहीं किया जा सकता। वर्मा का कहना है कि आयोग को इसे गंभीरता से लेते हुए बिजली कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।

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कुछ ही दिनों में घोषित होंगी नई दरें

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में नियामक आयोग नई बिजली दरों की घोषणा करेगा। परिषद का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन ने भी आंकड़े आयोग में दाखिल किए हैं वह सही नहीं है। इससे यह माना जा सकता है कि इस साल भी दरों में बढ़ोतरी का कारपोरेशन का सपना अधूरा ही रह जाएगा।

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