Health

ट्रामा मरीजों की जान बचायेंगे प्रशिक्षित डॉॅक्टर

सिविल व मिलिट्री चिकित्सा संस्थान ने शुरू की साझा ट्रेनिंग

Lucknow: ट्रामा मरीजों को समय पर और बेहतर इलाज देने के मकसद से डॉक्टरों को अब विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा। पहली बार सिविल और मिलिट्री चिकित्सा संस्थान ने मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाया है।

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) और एम्स मेडिकल कोर (AIMS Medical Core) सेंटर के संयुक्त प्रयास से Adolescent Trauma Life Support (ATLS) Training की शुरुआत तीन दिवसीय कार्यशाला के साथ हुई, जिसमें केजीएमयू के 32 डॉक्टरों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन ATLS, इंडिया के चेयरपर्सन डॉ. एम.सी. मिश्रा ने किया। उन्होंने कहा कि ATLS कोर्स देश के चिकित्सकों के लिए बेहद जरूरी है और इस तरह के प्रशिक्षण से ट्रॉमा मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिल सकता है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सिविल और मिलिट्री मेडिकल संस्थानों के बीच ऐसा सहयोग आगे भी जारी रहेगा।

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कार्यशाला का शुभारंभ ATLS, इंडिया के चेयरपर्सन डॉ. एम.सी. मिश्रा

कार्यक्रम की अध्यक्षता ATLS इंडिया की अध्यक्ष प्रो. सोफिया नुरुल्लाह ने की। उन्होंने कहा कि सडक़ दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, इससे लगातार ट्रॉमा के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में डॉॅक्टरों के लिए यह प्रशिक्षण और भी जरूरी हो जाता है। इससे प्रशिक्षित डॉक्टर ट्रॉमा मरीजों की जान बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह केजीएमयू और एम्स मेडिकल कोर का संयुक्त प्रयास है, जिससे मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके।

उन्होंने यह भी बताया कि यह देश में पहली बार है जब सिविलियन और एम्स मेडिकल कोर के बीच इस प्रकार का संयुक्त प्रयास हुआ है। उन्होंने कहा कि इस आपसी सहयोग से आगे भी दोनों संस्थानों के बीच ऐसे ही प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते रहेंगे।

कोर्स डायरेक्टर के रूप में प्रो. ललित मिश्रा और कोर्स डेवलपमेंट चेयर एवं फैकल्टी के रूप में डॉ. फौजदार तिवारी, डॉ. विनोद नारायण मिश्रा, डॉ. हेमलता, डॉ. अनिल राय, डॉ. शंकर शंकर, डॉ. अनंत धीरज, डॉ. अभिषेक जायसवाल, डॉ. संजीव सक्सेना, डॉ. गोविंद मित्तल, डॉ. प्रदीप सिंह और कोर्स को-ऑर्डिनेटर के रूप में शालिनी गुप्ता और शिखा गुप्ता मौजूद रहीं।

कार्यक्रम को सफल बनाने में ले. जनरल शंभूनाथ सिंह, मे. जनरल वी.एस. पांडे, ले. कर्नल नवीन वर्मा तथा केजीएमयू की ओर से प्रो. ललित मिश्रा और प्रो. विनोद नारायण मिश्रा ने भी अपना सहयोग दिया।

 

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