भारत

UP 69,000 शिक्षक भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, योगी सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2024 को उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व फैसले पर रोक लगा दी। भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला अगले आदेश तक निलंबित रहेगा।

मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2024 को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से अपने लिखित तर्क प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिससे संकेत मिला कि कोर्ट इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कोई निर्णय लेने से पहले वह मामले के कानूनी पहलुओं की जांच करेगा। हाईकोर्ट ने पहले आरक्षण नियमों के अनुपालन में कमी के कारण मेरिट सूची को रद्द कर दिया था, जिससे लगभग 19,000 व्यक्तियों पर असर पड़ सकता था जो पिछले चार साल से नौकरी में थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी लिखित प्रस्तुतियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सभी पक्षों से अपने तर्क लिखित रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की पूरी तरह से समीक्षा करने के लिए समय की आवश्यकता है। दोनों पक्षों से 7 पृष्ठों में सीमित लिखित जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार को भी अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय क्या था?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने यह भी निर्णय लिया कि आरक्षित श्रेणी के वे उम्मीदवार जिन्होंने सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के बराबर अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें सामान्य श्रेणी में माना जाना चाहिए। इस निर्णय ने पहले से सेवा में कार्यरत कई शिक्षकों में नौकरी खोने की चिंता पैदा कर दी है।

यही नहीं जिन अभ्‍यर्थियों को आरक्षण का पालन न किए जाने पर नौकरी से वंचित होना पड़ा वे लगातार मंत्रियों और योगी सरकार के समक्ष प्रदर्शन कर तैनाती दिए जाने की मांग कर रहे हैं। संवैधानिक आरक्षण नियमों का ठीक से पालन न होने से कई हजार अभ्‍यर्थियों को नौकरी से वंचित होना पड़ा था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button