आयुष विभाग में बड़ा खुलासा: अस्पताल नहीं, फिर भी जिलों में तैनात कर दिए डॉक्टर

लखनऊ। आयुष विभाग में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। कई ऐसे जिलों में डॉक्टरों की तैनाती कर दी गई, जहां न तो अस्पताल मौजूद हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं।

जानकारी के मुताबिक, जिन डॉक्टरों को हटाया जाना था, उन्हें एक तय नीति के तहत 15 साल से अधिक समय तक एक ही जिले में तैनात नहीं रखा जा सकता। लेकिन अधिकारियों ने न केवल उन्हें वहीं बनाए रखा, बल्कि कुछ मामलों में उन्हें बिना अस्पताल वाले जिलों में भी तैनात कर दिया।

कुछ अस्‍पतालों के नाम बलिया में सयालपुर, जसोदा/मथुरा, बदौरा/जालौन, हैदरपुर/कानपुर सहित अन्‍य कई ऐसे अस्‍पताल हैं जो वास्‍तव में हैं ही नहीं। डॉ. आरती, डॉ. शिव करन वर्मा और डॉ. आशा देवी को दो दो जगह पर तैनाती दे दी गई।

गड़बिड़यां सामने आने और संदेश वाहक समाचार पत्र के द्वारा खबर लिखे जाने के बाद महानिदेशक मानवेन्‍द्र सिंह के द्वारा 20 डॉक्‍टरों के स्‍थानांतरण का एक शुद्धि पत्र आदेश भी जारी किया गया है। लखनऊ के विकासनगर में एक ही सीट पर दो डॉक्‍टरों को तैनात कर दिया गया। मामला प्रकाश में आने के बाद डॉ. अरविन्‍द गोस्‍वामी का तबादला निरस्‍त किया गया है।

डॉ. अखिलेश वर्मा, डॉ. रेनू कुमार, डॉ. निशा मिश्रा, डॉ. अरविन्‍द कुमार, डॉ. दिव्‍यांशु रस्‍तोगी, डॉ. रणविजय सिंह, डॉ. सौरभ साहू को आवंटित आवंटित स्‍थाल रिक्‍त ना होने पर भी तैनाती दी गई। बाद में इन्‍हें संशोधित कर दूसरी जगह तैनाती दी गई हैं तो कुछ का तबादला ही निरस्‍त कर दिया गया है।

20% स्थानांतरण सीमा को मानक मानकर हटाई रोक

आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’ ने बताया कि तबादलों की सीमा 20 फीसदी है यही लक्ष्‍य मानकार हटाया गया है। अभी 13 साल तैनाती वाले डॉक्‍टरों को तबादलों के जरिए हटाया गया है। जिनकी शिकायतें थी उन्‍हें भी हटाया गया है। योग दिवस के कारण होम्‍योपैथी में कुछ तबादले रोके गए हैं।

राजभवन और हाईकोर्ट प्रशासन से नहीं मिली एनओसी

इस बीच, लखनऊ में तैनात दो वरिष्ठ चिकित्सकों का मामला भी चर्चा में है। दोनों डॉक्टर 2011 और 2009 से एक ही जगह तैनात हैं, लेकिन अब तक राजभवन और उच्च न्यायालय प्रशासन से अनुमति (NOC) नहीं मिलने के कारण इनका स्थानांतरण नहीं हो सका।

जांच के आदेश, दोषियों पर होगी कार्रवाई

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय को जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली, उन्होंने जांच के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव और आयुष निदेशक को इस पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से भी पूरे प्रकरण की समीक्षा की जा रही है।

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