UP News: 25 साहीवाल गाय और 200 लीटर दूध… योगी सरकार की इस योजना ने बदली इंदु सिंह की किस्मत, मिल रही 50% सब्सिडी

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Govt) न केवल गोवंश के संरक्षण पर जोर दे रही है, बल्कि पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए भी नई राहें खोल रही है। इसी कड़ी में ‘नंदिनी कृषक समृद्धि योजना’ (Nandini Krishak Samriddhi Yojana) प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रही है। गोरखपुर के पिपराइच ब्लॉक स्थित बहरामपुर की रहने वाली इंदु सिंह ने इस योजना का लाभ उठाकर सफलता की एक नई कहानी लिखी है।
साहीवाल गायों से संवर रही तकदीर इंदु सिंह पहले से ही पशुपालन के क्षेत्र से जुड़ी थीं, लेकिन योगी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना ने उनके काम को नई ऊंचाइयां दी हैं। उन्होंने योजना के तहत 25 उन्नत साहीवाल नस्ल (Sahiwal Cows) की गायों की डेरी स्थापित की है।
मौजूदा समय में उनकी डेरी में प्रतिदिन लगभग 200 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। चूंकि यह दूध शुद्ध देसी साहीवाल गाय का है, इसलिए इसकी गुणवत्ता को देखते हुए बाजार में उन्हें 100 रुपये प्रति लीटर का बेहतरीन दाम मिल रहा है। इंदु बताती हैं कि इस व्यवसाय से न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि उन्हें गोसेवा करने का भी सुखद अवसर मिल रहा है।
50 प्रतिशत सब्सिडी का मिला बड़ा सहारा नंदिनी कृषक समृद्धि योजना ‘नंद बाबा मिशन’ का ही एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी नस्लों (जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर, गंगातीरी) को बढ़ावा देना है।
इंदु सिंह ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ई-लॉटरी के माध्यम से इस योजना का लाभ उठाया। उनकी 25 गायों की डेरी यूनिट की कुल परियोजना लागत 62.55 लाख रुपये आई। योगी सरकार की तरफ से उन्हें इस लागत पर 50 प्रतिशत यानी 31.25 लाख रुपये की सब्सिडी (Subsidy) दी जा रही है। इसमें से आधी राशि उन्हें प्राप्त हो चुकी है और शेष जल्द ही मिल जाएगी। सरकार के इस सहयोग से इंदु सिंह की लागत आधी रह गई, जिससे उन्हें अपना व्यवसाय खड़ा करने में बड़ी मदद मिली।

रोजगार के साथ अब प्रोसेसिंग की तैयारी
इंदु सिंह की यह डेरी न केवल उनके परिवार की समृद्धि का जरिया बनी है, बल्कि इसने स्थानीय स्तर पर रोजगार भी पैदा किया है। डेरी संचालन के लिए चार लोगों को नौकरी मिली है।
इंदु सिंह अब सिर्फ दूध बेचने तक सीमित नहीं रहना चाहतीं। उन्होंने जल्द ही दुग्ध प्रसंस्करण (Milk Processing) शुरू करने की योजना बनाई है। वह अपनी यूनिट में दूध से पनीर, खोया और मक्खन जैसे उत्पाद तैयार करेंगी। इसके अलावा, वह गोबर और गोमूत्र से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लेकर इस दिशा में भी काम करेंगी, ताकि उनकी डेरी अन्य पशुपालकों के लिए एक ‘मॉडल डेरी’ बन सके।
बछिया ही पैदा होंगी, आय में होगी और वृद्धि
गोरखपुर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि इस योजना के तहत स्थापित डेरी में तकनीक का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यहां कृत्रिम गर्भाधान के लिए ‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ (Sex Sorted Semen) का उपयोग किया जाता है। इसका फायदा यह है कि गायों से केवल बछिया ही पैदा होंगी, जिससे भविष्य में दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ेगी और पशुपालक की आय में और अधिक इजाफा होगा।




