प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में बड़ा घोटाला: उपभोक्ता परिषद
Lucknow: उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में बड़ा घोटाला सामने आया है। जैसे जैसे मीटर लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। निजी कंपनियों के नये-नये कारनामें सामने आ रहे हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि 29 अगस्त तक यूपी में 38,28,925 स्मार्ट मीटर लगाए गए। इन मीटरों को लगाने के बाद उनके एवज में उतारे गए पुराने मीटरों को परीक्षण खण्डों में जमा किया जाना था। मगर 6,22,568 पुराने मीटर अब तक कंपनियों ने विभाग की टेस्ट डिवीजन में जमा ही नहीं किए।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की पांचों बिजली कंपनियों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम जिन निजी कंपनियों को सौंपा गया है उनमें जीएमआर, जीनस, पोलरिस और इन टैली स्मार्ट प्रमुख हैं। इन कंपनियों ने मीटर लगाने और पुराने मीटर परीखण्ड में पहुंचाने का जिम्मा पेटी ठेकेदारों को सौंप रखा है। इन ठेकेदारों ने मीटर तो लगा दिए मगर पुराने मीटर वापस करने में लापरवाही बरत रहे हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा के अनुसार अगर स्मार्ट मीटर लगाने की पूरी प्रक्रिया की सही तरीके से जांच करा दी जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आ जाएगा। इस घोटाले में निजी कंपनियों के साथ विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। वर्मा का कहना है कि स्मार्ट खरीद से पूर्व ही इस प्रकार के मामले सामने आए थे कि मीटर निर्माता अधिक दाम पर मीटर बेचना चाहते हैं। इस मामले में भी यूपीपीसीएल ने कोई कार्रवाई नहीं की। प्रदेश में बड़ी संख्या में पुरानी 2जी व 3जी तकनीक के मीटर लगे हैं उनको भी ईईएसएल बदल नहीं रहा है।
वितरण कंपनी मीटर निर्माता पुराने मीटर जमा नहीं हुए
पूर्वांचल जीएमआर-जीनस 2,42,275
मध्यांचल पोलरिस-इन टैली 92,969
दक्षिणांचल जीएमआर-जीनस 1,34,197
पश्चिमांचल इन टैली स्मार्ट 1,45,123
केस्को जीनस 8,000
कुल 6,22,568
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सीतापुर-गोंडा में एफआईआर, बाकी चुप
गौरलतब है कि सीतापुर में सैकड़ों मीटर वापस नहीं किए गए हैं। पिछले दिनों एक डिवीजन की रिपोर्ट में सामने आया कि 443 पुराने मीटर निजी कंपनी ने उतारने के बाद परीक्षण खण्ड में जमा नहीं किए। इसके लिए विभाग की ओर से कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। गोंडा जनपद में पोलरिस कंपनी ने 2645 नग मीटर वापस नहीं किए। एक अन्य मामले में 1625 नग मीटर वापस न मिलने पर गोंडा के मुख्य अभियंता ने एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दे दिए। गोंडा के मुख्य अभियंता के अनुसार बार-बार नोटिस देने के बाद भी कंपनी कोई जवाब नहीं दे रही थीं। उधर बलरामपुर में चौंकाने वाला मामला सामने आया कि पुराने मीटरों की रीडिंग छिपाने के लिए कर्मचारियों ने लेजर से डिस्प्ले डैमेज लिख दिया। इससे मीटर की सही रीडिंग का बिल नहीं बन पाया। परिषद का कहना है कि अगर यही खेल पूरे प्रदेश में चल रहा है तो बिजली विभाग को अरबों का चूना लगना तय है।
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विद्युत उपभोक्ताओं पर होगा असर
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा आने वाले दिनों में प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। जिन घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग चुके हैं, उनका बिजली बिल अब तक नहीं बन पाया है। आने वाले समय में जब एक साथ बिल बनेगा, तो उपभोक्ताओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी होगी। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और बिजली कंपनियां आए दिन स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य की समीक्षा करती हैं। मगर धरातल पर क्या हो रहा इसकी चर्चा क्यों नहीं होती। अगर अधिकारी इस घोटाले के बारे में जानते हैं तो कार्रवाई करने से उन्हें कौन रोक रहा है। इसका पता लगाया जाना चाहिए।