Health

यूपी में 2.19 लाख उच्च जोखिम गर्भवतियों की पहचान

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के तहत गर्भवतियों को मिली विशेष देखभाल

Lucknow: मातृ मृत्युदर में कमी लाने के प्रयासों के तहत शुरू किये गये प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के तहत अप्रैल 2025 से नवंबर 2025 के बीच अभियान के तहत दूसरी और तीसरी तिमाही की 25.29 लाख गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की गई, जिनमें से 2.19 लाख महिलाओं को उच्च जोखिम गर्भावस्था (High Risk Pregnancy) की श्रेणी में चिन्हित किया गया।

चिन्हित महिलाओं को अब विशेष चिकित्सकीय देखभाल, समयबद्ध फॉलो-अप और रेफरल सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है। परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. पवन सिंह अरुण ने बताया कि प्रदेश में मातृत्व स्वास्थ्य सुधारने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, हेल्पलाइन, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और साझेदारी मॉडल जैसे नवाचार अपनाए गए हैं।

ऑनलाइन पंजीकरण और ई-रिकॉर्ड्स के कारण उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की रियल-टाइम ट्रैकिंग, फॉलो-अप और समय पर रेफरल अब काफी आसान हो गया है। उन्होंने बताया कि अभियान की मजबूती से ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में गर्भवतियों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बढ़ोत्तरी हुई है।

चार बार जांच का मौका

प्रदेश में अब PMSMA और PMSMA-Plus दिवस हर महीने 1, 9, 16 और 24 तारीख को आयोजित किए जाते हैं। इससे महिलाओं को माह में चार बार प्रसवपूर्व जांच का अवसर मिलता है। नियमित जांचों की इस बढ़ी हुई आवृत्ति से उच्च जोखिम गर्भावस्थाओं की पहचान और फॉलो-अप प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी हुई हैं।

निजी चिकित्सकों की भी भागीदारी

अभियान में निजी क्षेत्र से भी मजबूत सहयोग मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में 1,124 निजी रूक्चक्चस् चिकित्सक स्वेच्छा से अभियान से जुड़े हैं। यह संख्या देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर महाराष्ट्र है, जहां 1,174 चिकित्सक जुड़े हुए हैं।

किन्हें उच्च जोखिम गर्भवती माना जाता है?

PMSMA के तहत इन स्थितियों को उच्च जोखिम गर्भावस्था की श्रेणी में रखा गया है-

– गंभीर एनीमिया (हीमोग्लोबिन 7 से कम)

– गर्भवती का बहुत कम या बहुत अधिक वजन

– गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव या असामान्य स्राव

– अत्यधिक कम कद (143 सेमी से कम)

– 15 वर्ष से कम या 31 वर्ष से अधिक आयु में गर्भधारण

– गर्भकालीन डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, प्रीएक्लेम्प्शिया

– टीबी, एचआईवी, मलेरिया जैसी बीमारियां
किडनी संबंधी रोग

– गर्भाशय व सर्विक्स की संरचनात्मक असामान्यताएं

– पूर्व गर्भावस्था में जटिलताओं का इतिहास

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