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धार्मिक मिथक तोड़कर अंगदान के लिए आगे आए लोग, धर्मगुरुओं ने बताया इसे सबसे बड़ा पुण्य

LUCKNOW: भारतीय अंगदान दिवस (Organ Donation Day) के अवसर पर रविवार को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में वॉकथॉन और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की खास बात रही कि इसमें विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने एक साथ मिलकर अंगदान को ‘महादान’ बताते हुए लोगों से अपील की कि वे धार्मिक भ्रांतियों और मिथकों से ऊपर उठकर इस पुण्य कार्य में भाग लें।

कार्यक्रम का आयोजन पीजीआई (PGI) के नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग, आलंबन एसोसिएट्स चैरिटेबल ट्रस्ट और स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (SOTTO) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। वॉकथॉन की शुरुआत एपेक्स ट्रॉमा सेंटर से हुई और यह पीजीआई परिसर तक पहुंचा। कार्यक्रम की शुरुआत अंगदान जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर की गई।

एक ब्रेन डेड से आठ लोगों को मिल सकता है नया जीवन

कार्यक्रम के आयोजक और पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि “आज भी लोग धार्मिक भ्रांतियों या जानकारी के अभाव में अंगदान से हिचकते हैं, जबकि इसमें कोई नुकसान नहीं है।”

यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एमएस अंसारी और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. यू.पी. सिंह ने भी बताया कि “अंगदान करने वाले को कोई खतरा नहीं होता, और यह वैज्ञानिक रूप से पूर्णतः सुरक्षित है।”

सोटो के संयुक्त निदेशक और पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि प्रदेश में सोटो के गठन के बाद अंगदान की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्‍होंने बताया कि वर्ष 2023 में 454 किडनी और 141 लिवर प्रत्यारोपण हुए, जबकि 2022 में यह संख्या क्रमशः 300 और 153 थी।

धर्म नहीं, मानवता है मार्गदर्शक: PGI निदेशक

SGPGI के निदेशक डॉ. आर.के. धीमान ने कहा कि “धर्म को अंगदान की राह में बाधा नहीं, बल्कि मानवता की प्रेरणा मानना चाहिए।” उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। कार्यक्रम में आलंबन ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप कुमार और सचिव सुजाता देव ने इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

धर्मगुरुओं ने कहा अंगदान मानवता की सेवा है

कार्यक्रम में शामिल विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने एक सुर में कहा कि अंगदान न केवल पुण्य है, बल्कि यह सेवा और परोपकार का सबसे बड़ा उदाहरण है।

ईसाई धर्म के पादरी जेरी गिब्सन जॉय ने कहा, “यीशु मसीह का बलिदान मानव कल्याण के लिए था, उसी तरह अंगदान भी एक जीवनदायिनी सेवा है।”

दारुल उलूम नदवतुल उलमा के मौलाना एम. यूसुफ मुस्तफा नदवी ने कहा, “किसी की जान बचाना इस्लाम में सबसे बड़ा काम है। अंगदान इसी दिशा में एक कदम है।”

गुरुद्वारा श्री गुरुसिंह सभा, नाका के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरजिंदर सिंह ने इसे “निस्वार्थ सेवा और सिख धर्म के मूल सिद्धांतों के अनुरूप” बताया।

इस्कॉन लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमय श्याम दास ने कहा, “शरीर पंचतत्वों से बना है, और मृत्यु के बाद उसके अंगों का उपयोग किसी का जीवन बचाने में हो, इससे बड़ा परोपकार कुछ नहीं हो सकता।”

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