KGMU : प्लास्टिक प्रदूषण से हर मिनट दो मौतें: डॉ. सूर्यकान्त

Lucknow: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विशेष पौधारोपण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त की अध्यक्षता में रोटरी रेस्पिरेटरी हर्बल पार्क में 50 से अधिक औषधीय, फलदार और छायादार पौधों का रोपण किया गया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सूर्यकान्त, जो ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड नेचर (OCEAN) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि “प्लास्टिक प्रदूषण (plastic pollution) से हर मिनट औसतन दो लोगों की जान जा रही है।” उन्होंने इस संकट को “धीमे ज़हर” की संज्ञा दी जो वायु, जल, मृदा और जैव विविधता को धीरे-धीरे नष्ट कर रहा है।
“एक पेड़ माँ के नाम” क्रांतिकारी पहल
डॉ. सूर्यकान्त (Dr Suryakant) ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को जनभागीदारी से जोड़ने की अपील करते हुए कहा, “वृक्षारोपण के साथ उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारी है। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक भी बन सकता है।”
जनक तथ्य यह है कि प्लास्टिक की 90% से अधिक वस्तुएँ केवल एक बार उपयोग में लाई जाती हैं और फिर फेंक दी जाती हैं। यह कचरा नदियों और नालों के माध्यम से समुद्र तक पहुँचता है, जिससे जलचरों का जीवन संकट में पड़ जाता है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 10 करोड़ समुद्री जीव प्लास्टिक निगलने या उसमें फँसने के कारण मारे जाते हैं। पशुओं की आँतों में प्लास्टिक बैग पाए गए हैं, जिससे उनकी अकाल मृत्यु हो रही है।
प्लास्टिक की भयावह हकीकत
- भारत में हर व्यक्ति औसतन 11 किलोग्राम प्लास्टिक सालाना इस्तेमाल करता है, जबकि वैश्विक औसत 28 किलोग्राम है।
- एक प्लास्टिक बैग 2000 गुना ज्यादा भार उठा सकता है, लेकिन इसका विघटन 500 से 1000 वर्ष तक लगता है।
- प्लास्टिक के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं, जिससे सांस की गंभीर बीमारियाँ, हृदय रोग और कैंसर तक हो सकते हैं।
- 90% प्लास्टिक वस्तुएँ सिंगल-यूज़ होती हैं, जो सीधे नदियों, नालों और समुद्र में जाकर जलचरों के जीवन को खतरे में डालती हैं।
- यूनेस्को के अनुसार, हर साल 10 करोड़ से अधिक समुद्री जीव प्लास्टिक के कारण मारे जाते हैं।
समाधान क्या है
डॉ. सूर्यकान्त ने सुझाव दिया कि हमें कपड़ा, जूट और कागज जैसे पर्यावरण-मित्र विकल्पों को अपनाना चाहिए और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह सामूहिक प्रयास का समय है।”
कार्यक्रम में रही विशेष उपस्थिति
इस अवसर पर रोटरी क्लब ऑफ लखनऊ के पूर्व सचिव श्री अशोक टंडन, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. दर्शन बजाज, डॉ. ज्योति बाजपेई, डॉ. अंकित कुमार सहित विभाग के रेज़िडेंट डॉक्टर्स, स्टाफ नर्सें और स्वास्थ्यकर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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