TET Exam : योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिवीजन याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया

LUCKNOW: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता को लेकर उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश पर रिवीजन याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह फैसला प्रदेश के लाखों अनुभवी शिक्षकों को बड़ी राहत प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का विवादास्पद फैसला
1 सितंबर 2025 को उच्चतम न्यायालय (Supreme) ने एक ऐतिहासिक लेकिन विवादास्पद फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। कोर्ट के अनुसार, दो वर्ष के भीतर टीईटी न पास करने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। साथ ही, पदोन्नति के लिए भी टीईटी उत्तीर्ण होना जरूरी कर दिया गया।
न्यायालय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम योग्यता मानकों का अनुपालन आवश्यक है। इस फैसले का असर सरकारी, निजी (गैर-अल्पसंख्यक) और अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी पड़ेगा। हालांकि, जिन शिक्षकों के रिटायरमेंट में 5 वर्ष या उससे कम समय बचा है, उन्हें इस अनिवार्यता से छूट दी गई है।
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मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले को लेकर बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के साथ बैठक की। बैठक में चर्चा के दौरान सीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
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सीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल किया जाए। यह कदम उन शिक्षकों के हितों की रक्षा करने के लिए उठाया गया है जो वर्षों से सेवा दे रहे हैं और अब अचानक नई परीक्षा का सामना करने को मजबूर हो सकते हैं। योगी सरकार का यह फैसला शिक्षकों के बीच व्यापक समर्थन प्राप्त कर रहा है।
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शिक्षकों पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में करीब साढ़े चार लाख शिक्षक कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इनमें से कई को अपनी नौकरी और पदोन्नति पर संकट आ गया था। विशेष रूप से वे शिक्षक जो पुरानी भर्ती प्रक्रिया से जुड़े हैं और जिन्होंने पहले टीईटी नहीं दिया था, सबसे अधिक प्रभावित हो सकते थे।
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गाैरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग के टीचर लगातार जिलों में प्रदर्शन कर रहे हैं और जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर रहे हैं।
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सरकार का यह निर्देश न केवल वर्तमान सेवारत शिक्षकों को राहत देगा, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यक्षमता को भी बनाए रखेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुभवी शिक्षकों को हटाने से स्कूलों में शिक्षक की कमी हो सकती है, जो शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी।