केजीएमयू में रक्त सम्बन्धी बीमारियों का होगा सटीक इलाज

बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट का शुभारम्भ आज
Lucknow: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में अब रक्त सम्बन्धी गम्भीर बीमारियों का सटीक इलाज हो सकेगा। इसके लिए यहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant ) यूनिट शुरू की जा रही है, जिसका शुभारम्भ गुरुवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी।
केजीएमयू की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने बताया कि आधुनिक सुविधाओं से लैस सात बेड वाली यह यूनिट आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन के सीएसआर फंड से बनाई गई है। लगभग 2.76 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई यह यूनिट देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों की तर्ज पर डिजाइन की गई है।
प्रो. नित्यानंद के अनुसार बोन मैरो ट्रांसप्लांट के दौरान मरीजों के लिए संक्रमण का जोखिम सबसे बड़ा खतरा होता है। शुरुआती 30 दिन मरीज के लिए अत्यंत संवेदनशील होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए यूनिट में हेपा फिल्टर तकनीक लगाई गई है, जो हवा में मौजूद फंगस और बैक्टीरिया को पूरी तरह रोककर कमरे को संक्रमण-मुक्त रखती है। इससे मरीजों को पूरी तरह सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इसे भी पढ़ें : लिवर ट्रांसप्लांट के लिए अब नहीं काटने पड़ेंगे दिल्ली-मुंबई के चक्कर, अपोलो लखनऊ ने कानपुर में शुरू की विशेष OPD
जल्द बनेगी दूसरी यूनिट भी
हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस.पी. वर्मा का कहना है कि फाउंडेशन ने एक और ट्रांसप्लांट यूनिट के निर्माण के लिए सहमति दे दी है। लगभग 3.25 करोड़ रुपये की लागत से सात बेड की दूसरी यूनिट जल्द स्थापित की जाएगी। इससे अधिक मरीजों को इलाज का लाभ मिलेगा और केजीएमयू की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। नई यूनिट के शुरू होने से केजीएमयू गंभीर रक्त रोगों के उपचार में और अधिक सक्षम बन जाएगा। अत्याधुनिक तकनीक, संक्रमण-मुक्त वातावरण और विस्तारित सुविधाओं के साथ यह यूनिट न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी।
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. के.के. सिंह ने बताया कि अधिकांश ट्रांसप्लांट प्रधानमंत्री राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष, आयुष्मान भारत, और असाध्य रोग योजना के तहत कराए जाएंगे, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सुविधा मिल सके। इसके अलावा, अस्पताल मरीजों को रिवॉल्विंग फंड के माध्यम से आवश्यक दवाएं किफायती दरों पर उपलब्ध करायेगा।
इन रोगों का होगा इलाज
– रक्त व लिम्फोमा कैंसर
– थैलसीमिया
– एप्लास्टिक एनीमिया




