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UP News: अवैध कफ सिरप के खिलाफ CM Yogi का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, 52 जिलों की 332 फर्मों पर छापेमारी, 133 के खिलाफ एफआईआर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नशा कारोबारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति ने अब तक का सबसे बड़ा असर दिखाया है। प्रदेश को नशामुक्त बनाने के संकल्प के तहत एफएसडीए (FSDA) ने कोडिनयुक्त कफ सिरप (Codeine-based Cough Syrup) के अवैध कारोबार पर ऐतिहासिक कार्रवाई की है। इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा ‘क्रैक डाउन’ माना जा रहा है।

पहली बार NDPS और BNS एक्ट में मुकदमा

अब तक ऐसे मामलों में विभाग केवल ड्रग लाइसेंस रद्द करके कार्रवाई समाप्त कर देता था, लेकिन सीएम योगी की सख्ती के बाद नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। पहली बार कोडिनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन पर न केवल लाइसेंस रद्द किए गए, बल्कि आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस (NDPS) और बीएनएस (BNS) एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिलाधिकारियों को आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) लगाने की भी सिफारिश की गई है।

महीनों की रेकी और दूसरे राज्यों से जुटाए सबूत

इस कार्रवाई की पटकथा महीनों पहले लिख दी गई थी। एफएसडीए (FSDA) ने सीधे छापेमारी करने से पहले एक गुप्त जांच अभियान चलाया। विभाग की टीमों ने झारखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में जाकर विवेचना की। वहां से उत्तर प्रदेश के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर्स के अवैध कारोबारी रिश्तों के पक्के सबूत जुटाए गए। जब यह पुष्टि हो गई कि दवाएं मरीजों के बजाय नशे के रूप में बेची जा रही हैं, तब पिछले 60 दिनों में ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की गई।

52 जिले, 332 फर्म पर कार्रवाई

  • दायरा: 60 दिनों के भीतर प्रदेश के 52 जिलों में छापेमारी की गई।

  • जांच: कुल 332 दवा फर्मों के दस्तावेजों और स्टॉक की जांच हुई।

  • FIR: 31 जिलों में गड़बड़ी पाए जाने पर 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। आधा दर्जन से अधिक संचालक जेल भेजे जा चुके हैं।

जांच में यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि कई फर्मों का अस्तित्व केवल कागजों पर था। वे सिर्फ ‘बिलिंग प्वाइंट’ के रूप में काम कर रही थीं, ताकि काले कारोबार को सफेद दिखाया जा सके। इसके अलावा कई प्रतिष्ठानों में पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था नहीं थी। साथ ही औषधियों के क्रय-विक्रय के अभिलेख भी नहीं पाए गए।

नेपाल और बांग्लादेश तक जुड़े तार

जांच में खुलासा हुआ है कि यूपी के रास्ते कफ सिरप की तस्करी पड़ोसी देशों में की जा रही थी। लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच के रास्ते यह खेप नेपाल भेजी जा रही थी। वहीं, वाराणसी और गाजियाबाद के नेटवर्क का इस्तेमाल कर इसे बांग्लादेश भेजा जा रहा था।

‘छोटे व्यापारियों को परेशान न करें, मगर सौदागरों को छोड़ें नहीं’

एफएसडीए (FSDA) सचिव और आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि सीएम योगी का निर्देश स्पष्ट था कि किसी भी छोटे व्यापारी को परेशान न किया जाए, लेकिन नशे के बड़े सौदागरों (सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर) को बख्शा न जाए। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरे देश के लिए एक नजीर बनेगी।

सीएम (CM Yogi) ने एक्शन के दौरान छोटे व्यापारी को परेशान न करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने गोरखधंधे में शामिल सुपर स्टॉकिस्ट और होल सेलर के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिये। सीएम योगी के निर्देश पर पहली बार विभाग ने गारेखधंधे में शामिल लोगों के खिलाफ एनडीपीएस और बीएनएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करायी। सभी डीएम को गैंगेस्टर के तहत कार्रवाई के लिए पत्र लिखा।

इन जिलों में हुआ सबसे बड़ा खुलासा

वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, रायबरेली, संतकबीर नगर, हरदोई, भदोही, अमेठी,श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, बस्ती, अंबेडकनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मीरजापुर, बांदा, कौशांबी समेत कुल 31 जिलों में कफ सिरप की तस्करी के बड़े मामले पकड़े गए हैं।

डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि बताया कि जांच में 332 औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों में से 133 प्रतिष्ठानों द्वारा संगठित रूप से इन औषधियों का गैर चिकित्सकीय उपयोग के लिए अवैध डायवर्जन कर नशे के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा है। इनके द्वारा मुख्य रूप से लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच के जरिये नेपाल और वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश में नशे के रूप में भेजा जा रहा है।

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