केजीएमयू में 2014 के बाद पहली बार कार्यपरिषद के चार सदस्यों के लिए चुनाव 12 अप्रैल को
वर्ष 2014 के बाद हो रहा है King George Medical University में बहुप्रतीक्षित चुनाव, डेंटल काउंसिल के लिए भी एक सदस्य का होगा चुनाव

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में एक दशक बाद केजीएमयू कार्यपरिषद Executive council) के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2014 के बाद यह पहला मौका है जब कार्यपरिषद के चार सदस्यों के लिए चुनाव हो रहा है। इसके साथ ही डेंटल काउंसिल (KGMU dental council member) के एक सदस्य का भी चुनाव किया जाएगा। चुनाव की तारीख 12 अप्रैल तय की गई है।
कार्य परिषद सहित पांच पदों के लिए होगा मतदान
जारी आदेश के मुताबिक केजएमयू कार्यपरिषद (KGMU Executive Council) के चार और डेंटल काउंसिल (Dental Council) के एक पद के लिए (KGMU elections 2025) चुनाव आयोजित किए जाएंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। मतदाता सूची के अनुसार, मेडिकल और डेंटल फैकल्टी के योग्य सदस्यों को मतदान का अधिकार होगा। इसके अलावा कुछ पूर्व अधिकारी, फैकल्टी मेम्बर भी चुनाव में वोट डाल सकेंगे।
ये हैं उम्मीदवार
डॉक्टरों और शिक्षकों के बीच इन चुनावों को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। कार्य परिषद के चार पदों के लिए चुनाव में शामिल होने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, डॉ. ओपी सिंह, डॉ. सुरेश अहिरवार, डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव, डॉ. एम.जेड. इदरीश, डॉ. एसपी मौर्या, डॉ. गुरमीत सिंह, डॉ. उदय भान सिंह शामिल हैं।
डेंटल काउंसिल के एक पद के लिए डॉ. भाष्कर अग्रवाल, डॉ. पवित्र कुमार रस्तोगी और डॉ. हरि राम मैदान में हैं।
केजीएमयू कार्यपरिषद चुनाव की तैयारी पूरी, पारदर्शिता पर जोर
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होगी। सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 12 अप्रैल को निर्धारित केंद्रों पर मतदान कराया जाएगा।
कर्मचारी परिषद ने भी रखी मांग
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के कर्मचारी परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन से यूनिवर्सिटी कोर्ट में कर्मचारी प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की है। कर्मचारी परिषद ने इस संबंध में 9 अप्रैल को कुलपति और कुलसचिव को एक औपचारिक पत्र सौंपकर मांग रखी है।
पत्र में, परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह और महामंत्री अनिल कुमार ने कहा है कि विश्वविद्यालय के नियमों में यूनिवर्सिटी कोर्ट में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है, जिसमें पूर्व में छात्र प्रतिनिधि भी शामिल थे। परिषद ने तर्क दिया है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा और विश्वविद्यालय की नीति-निर्धारण प्रक्रिया में उनकी सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों (अध्यक्ष एवं महामंत्री) को भी कोर्ट में सदस्य के रूप में नामित किया जाना चाहिए।
कर्मचारी नेताओं का मानना है कि इस कदम से न केवल कर्मचारियों की आवाज़ प्रशासन तक पहुंचेगी, बल्कि यह संस्थान के समग्र विकास में भी सहायक सिद्ध होगा। परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए, इसे आगामी कार्यकारी परिषद (Executive Council) की बैठक में प्रस्तुत कर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
चुनाव में ये लोग कर सकेंगे वोट